तुहिना
रंजन
अधमुँदी -सी
आँखें देखने लगीं
जागा - सोया- सा
वो सुनहरा स्वप्न ..
जगमगाए
सूरज -चंदा
जैसा ,
मेरा दुलारा
चूम ले आसमान
तारों में खेले
उससे हो विहान।
किये जतन ,
मेहनत से सींची
लाल की क्यारी ..
बीज बोए
चाह के
उगाए पंख ,
भर डाली उमंग।
उड़ चला वो
छोटे पंख पसार।
दिन- ब -दिन
ऊँची
होती उड़ान
तारों के पार
और मिले जहान ..
आसमान छू
माटी भी बिसराई
..
राह ताकते
आँखें भी पथराई
..
सुन रे यम !!
अभी नहीं है जाना ..
बाँध लेने दे
टूटती साँस - डोर
ये क्षण और ...
रुकना होगा काल !!
आ रहा मेरा लाल !!!
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बहुत मार्मिक चोका दिल को छू गया।
जवाब देंहटाएंतुहिना जी बहुत-२ बधाई।
bahut di marmik
जवाब देंहटाएंbhav bahut hi sunder hain
badhai
rachana
बहुत सुंदर चोका! दिल को छू गया...
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई... तुहिना जी!
~सादर!!!
बहुत मार्मिक और भावपूर्ण चोका...जैसे पूरी कहानी कह गया...|
जवाब देंहटाएंबधाई...|
प्रियंका
Bhavpurn abhivaykti...
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