शुक्रवार, 15 मार्च 2013

रुकना होगा काल


तुहिना रंजन
अधमुँदी -सी  
आँखें देखने लगीं 
जागा - सोया-  सा 
वो सुनहरा  स्वप्न .. 
जगमगाए  
सूरज -चंदा  जैसा , 
मेरा दुलारा 
चूम ले आसमान  
तारों में खेले 
उससे हो विहान।  
किये जतन ,
मेहनत  से सींची 
लाल की क्यारी ..
बीज बोचाह के  
उगा पंख , 
भर डाली उमंग। 
उड़ चला वो  
छोटे पंख पसार।  
दिन- -दिन  
ऊँची होती उड़ान 
तारों के पार  
और मिले जहान .. 
आसमान छू  
माटी  भी बिसराई .. 
राह ताकते  
आँखें भी पथरा .. 
सुन रे यम !! 
अभी नहीं है  जाना ..  
बाँध लेने दे  
टूटती साँस - डोर 
ये क्षण और ... 
रुकना होगा काल !! 
आ रहा मेरा लाल  !!!
-0-

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत मार्मिक चोका दिल को छू गया।
    तुहिना जी बहुत-२ बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर चोका! दिल को छू गया...
    हार्दिक बधाई... तुहिना जी!
    ~सादर!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत मार्मिक और भावपूर्ण चोका...जैसे पूरी कहानी कह गया...|
    बधाई...|

    प्रियंका

    जवाब देंहटाएं