शुक्रवार, 15 मार्च 2013

बरसूँ सरसाऊँ |


1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
जलधारा -सी
उतरूँ जो निर्मल
तृषित धरा
संग में हरषाए
मुदित मना गाए  
2
मैं बदरी -सी
अम्बर में छा जाऊँ
तपा सताए
रवि- कर निकर
बरसूँ सरसाऊँ |
-0-
2-अनिता ललित
1
चढ़ो गर तो...
चंद्रमा की तरह...
कि खिल सको...
नज़रों में सबकी
ज्यों शीतल चाँदनी..!

2
ढलो गर तो..
सूरज की तरह...
कि टिक सको
नज़रों में सबकी
ज्यों लालिमा सिंदूरी 
 ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर अर्थपूर्ण ताँका।
    ज्योत्सना जी अनीता जी बहुत-२ बधाई।

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  2. बहुत ही सुन्दर अर्थपूर्ण ताँका।
    ज्योत्सना जी अनीता जी बहुत-२ बधाई।

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  3. अनुभूतियों को सुंदर तांका में पिरो दिया .
    हार्दिक बधाई आप दोनों को .

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  4. मैं बदरी -सी
    अम्बर में छा जाऊँ
    bahut pyari soch
    चढ़ो गर तो...
    चंद्रमा की तरह...
    कि खिल सको...
    नज़रों में सबकी
    ज्यों शीतल चाँदनी..
    theek kaha aapne sada aesa hi hona chahiye
    aapdono ko badhai
    rachana

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  5. ज्योत्सना जी.... बहुत सुंदर ताँका हैं आपके !:)
    ~सादर!!!

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  6. कृष्णा जी, मंजू गुप्ता जी, रचना जी ..... सराहना तथा प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद व आभार!:)
    ~सादर!!!

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  7. बहुत ही सुन्दर अर्थपूर्ण ताँका,सबको धन्यबाद.

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  8. Dr. Bhawna ji ,Rajendra kumar ji ,Anita ji ,Rachana ji ,Manju GUpta ji evam Krishna ji ...sundar sukhad pratikriyaa ke liye hriday se aabhaar ....aapkaa sahayog bahut prerak hai !!

    saadar
    jyotsna sharma

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