शुक्रवार, 21 जून 2013

उजियार करें

डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
"ये गीत-रुबाई हैं 
आज दिशाओं में 
बजती शहनाई हैं |"
2
देखो, उजियार करें 
दीपक औ' बाती 
जब तक हम नेह भरें !
3
हैं फूल वफ़ाओं के 
लब पर बोल रहे 
दिन-रैन दुआओं के !
4
उठकर यूँ झुक जाएँ 
सजल  नयन तेरे ,
राही ज्यों रुक जाएँ !
5
लो अपने डाल गया 
आँखों में कोई 
कुछ सपने डाल गया !
6
पाहन पर दूब उगी 
'मेल ' मिली हमको 
उनकी कल प्रीत पगी

-0-

9 टिप्‍पणियां:

  1. jahan prem hai wahan sapne to palenge hee. aap ke sare mahiyaa prem bhari aankhon mein sapne sanjoye hue hain. Bahut sundar bhav. badhai

    pushpa mehra

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  2. पाहन पर दूब उगी
    'मेल ' मिली हमको
    उनकी कल प्रीत पगी
    खूबसूरत माहिया ज्योत्स्ना जी बधाई!

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  3. पाहन पर दूब उगी
    'मेल ' मिली हमको
    उनकी कल प्रीत पगी
    वाह...बहुत खूब...ज्योत्सना जी को सादर बधाई !!

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  4. आँखों में कोई
    कुछ सपने डाल गया !

    wah ... kitni khoobsurat baat kahi aapne Jyotsana ji ...

    Manju
    www.manukavya.wordpress.com

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  5. आ Pushpa Mehra जी ,Krishna जी ,ऋता शेखर मधु जी एवं Manju Mishra जी ...ह्रदय से आभारी हूँ मेरी अभिव्यक्ति को आपका स्नेह मिला ...:)
    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  6. प्रेम-पगे इन खूबसूरत माहिया के लिए बहुत बधाई...|
    प्रियंका

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  7. बहुत सुन्दर लेखन है आपका ज्योत्सना जी !

    "ये गीत-रुबाई हैं
    आज दिशाओं में
    बजती शहनाई हैं |"

    अति सुन्दर।

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  8. khoobsurat mahiya jyotsana ji badhai aapko prem ras ke mahiya .man bha gaye

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  9. स्नेहमयी उपस्थिति के लिए बहुत बहुत आभार ..प्रियंका जी ,सुशीला जी एवं शशि जी !
    सादर ...सस्नेह
    ज्योत्स्ना शर्मा

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