बुधवार, 10 जुलाई 2013

दुनिया और सपने

1-अनिता ललित
1
 खोकर जग-मेले में
दिल का चैन लुटा   
रिश्तों के खेले में ।
2
मतलब की ये दुनिया
है स्वार्थी रिश्ते
व्याकुल क्यों आज हिया ।
-0-
2-डॉ जेन्नी शबनम
1
मन में जो आस खिली
जीवन में मेरे
अब जाकर प्रीत मिली ।
थी अभिलाषा  ये मन में 
सपने  हों पूरे
सारे इस जीवन में ।

-0-

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर माहिया हैं...आप दोनों को बधाई...|

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  2. थी अभिलाषा ये मन में
    सपने हों पूरे
    सारे इस जीवन में

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

    बधाई आप दोनों को .

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  3. जेन्नी जी...बहुत सुंदर माहिया!
    बधाई!

    ~सादर!!!

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  4. कही अनकही जी, मंजू गुप्ता जी... ये मेरे द्वारा लिखे पहले 'माहिया' हैं! प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार!:-)

    ~सादर

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  5. बहुत सुन्दर माहिया!
    आप दोनों को बहुत बधाई!

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  6. बहुत सुंदर माहिया! सुंदर अभिव्यक्ति ! आप दोनों को बहुत बधाई!

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