मंगलवार, 16 जुलाई 2013

प्यार का झरे पानी

1-शशि पुरवार
1
बहता पानी 
विचारो की रवानी 
हसीं ये जिंदगानी
संझा  -बेला में 
परिवार का साथ
ज्यों संस्कारों के हाथ ।
2
हाथों  में छैनी 
तिरते है विचार
बेजोड़  शिल्पकारी
गढ़े आकार
माथे पे स्वेद बिन्दु 
शिला हुई जीवन्त ।
3
जग  कहता-
है पत्थर के पिता 
समेटे परिवार  
कुटुंब खास 
प्यार का  झरे पानी 
पिता की है कहानी ।
-0-
1-डॉ सरस्वती माथुर 
1
पानी- सा मन
मौसम में घुल के
टपकता ही रहा
बूँदें छ्नकीं
गौरी के पायल सी
चूड़ियाँ भी खनकी
-0-


8 टिप्‍पणियां:

  1. पानी के सन्दर्भ में लिखे सभी सेदोका मनभावन हैं। शशि जी और सरस्वती जी, आप दोनों को हार्दिक बधाई !

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  2. बहुत सुंदर!
    पिता के बारे में तो बिल्कुल सही बात कही...

    शशि जी, सरस्वती जी... आप दोनों को हार्दिक बधाई!:)

    ~सादर

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  3. सभी सेदोका अच्छे हैं...बधाई...|
    प्रियंका

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  4. 'pyar ka jhare paani' main aapne parivaar aur samaaj ke sambandh sutron ko bakhubi prem jal se sarabor kiya hai
    Badhaai shashi ji

    Pushpa mehra

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  5. Dr. saraswati Mathur ji,

    Paanii sa man ki panktiyaan man ko paani me.n sahaj hi bhigo gaiin. badhaai

    pushpa mehra

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  6. हाथों में छैनी
    तिरते है विचार
    बेजोड़ शिल्पकारी
    गढ़े आकार
    माथे पे स्वेद बिन्दु
    शिला हुई जीवन्त ।
    lajavab likha hai shila hui jivant bahut sunder

    पानी- सा मन
    मौसम में घुल के
    टपकता ही रहा
    बूँदें छ्नकीं
    गौरी के पायल सी
    चूड़ियाँ भी खनकी
    nice bunden gori ki payal si sunder upma
    rachana

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  7. पिता की कहानी ..और ..पानी सा मन ....सुन्दर भाव लिए बहुत सुन्दर सेदोका ...शशि जी और सरस्वती जी को हार्दिक बधाई !

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  8. सभी सेदोका बहुत भावपूर्ण और अर्थपूर्ण. शशि जी और सरस्वती जी को बधाई.

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