मंगलवार, 16 जुलाई 2013

तेरा ख़याल आया !

हरकीरत हीर
1
खूँटी पे टँगा
हँसता है विश्वास
चौंक जाती धरा भी
देख खुदाया !
तेरे किये हक़ औ'
नसीबों के हिसाब ...!
2
स्याह- से लफ़्ज
दुआएँ माँगते हैं
ज़र्द -सी ख़ामोशी में ,
लिपटी रात
उतरी है छाती में
आज दर्द के साथ ....!
3
आग का रंग
मेरे लिबास पर
लहू सेक रहा है
कैद साँसों में
रात मुस्कुराई है
कब्र उठा लाई है ।.
4
दागी जाती है
इज्जत के नेजे पे
बेजायका सी देह
चखी जाती है
झूठी मुस्कान संग
दर्द के बिस्तर पे ।
5
कैसी आवाजें
अँधेरे की पीठ पे
बदन को छू गईं !
नज़्म उतरी ,
तड़पकर आज
तेरा ख़याल आया !
-0-


8 टिप्‍पणियां:

  1. bahut sundar sadoka 3 mujhe behad pasand aaya ,sabhi acche lage ,hardik badhai

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  2. आपके सभी सेदोका बेहतरीन हैं और मानव के मनोमस्तिष्क में चल रहे द्वन्द को व्यक्त करते हैं। हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !



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  3. बहुत सा दर्द ... अपने-आप में समेटे हुए सेदोका ! दिल को छू गये...
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!

    ~सादर!!!

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  4. इन सेदोका की तारीफ किन शब्दों में करूँ...बहुत बेहतरीन...बधाई...|

    प्रियंका गुप्ता

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  5. दागी जाती है
    इज्जत के नेजे पे
    बेजायका सी देह
    चखी जाती है
    झूठी मुस्कान संग
    दर्द के बिस्तर पे ।
    uf ek ek sadoka aapne me ek kitab se hain bahut bahut badhai
    rachana

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  6. बहुत सुन्दर ...कुछ अलग सी भावाभिव्यक्ति .....बधाई !

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  7. बहुत सुन्दर सेदोका ...कुछ अलग सी भावाभिव्यक्ति ...बधाई !

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  8. दर्द भी जाने किन किन राहों से बदन में उतर जाता है...

    कैसी आवाजें
    अँधेरे की पीठ पे
    बदन को छू गईं !
    नज़्म उतरी ,
    तड़पकर आज
    तेरा ख़याल आया !

    सभी सेदोका दर्द में भीगे हुए ... बहुत उम्दा. सुन्दर सृजन के लिए बधाई हरकीरत जी.

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