हरकीरत हीर
1
1
खूँटी पे टँगा
हँसता है विश्वास
चौंक जाती धरा भी
देख खुदाया !
तेरे किये हक़ औ'
नसीबों के हिसाब ...!
2
स्याह- से लफ़्ज
दुआएँ माँगते हैं
ज़र्द -सी ख़ामोशी में ,
लिपटी रात
उतरी है छाती में
आज दर्द के साथ ....!
3
हँसता है विश्वास
चौंक जाती धरा भी
देख खुदाया !
तेरे किये हक़ औ'
नसीबों के हिसाब ...!
2
स्याह- से लफ़्ज
दुआएँ माँगते हैं
ज़र्द -सी ख़ामोशी में ,
लिपटी रात
उतरी है छाती में
आज दर्द के साथ ....!
3
आग का रंग
मेरे लिबास पर
लहू सेक रहा है
कैद साँसों में
रात मुस्कुराई है
कब्र उठा लाई है ।.
4
दागी जाती है
इज्जत के नेजे पे
बेजायका सी देह
चखी जाती है
झूठी मुस्कान संग
दर्द के बिस्तर पे ।
5
मेरे लिबास पर
लहू सेक रहा है
कैद साँसों में
रात मुस्कुराई है
कब्र उठा लाई है ।.
4
दागी जाती है
इज्जत के नेजे पे
बेजायका सी देह
चखी जाती है
झूठी मुस्कान संग
दर्द के बिस्तर पे ।
5
कैसी आवाजें
अँधेरे की पीठ पे
अँधेरे की पीठ पे
बदन को छू गईं !
नज़्म उतरी ,
तड़पकर आज
नज़्म उतरी ,
तड़पकर आज
तेरा ख़याल आया !
-0-
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bahut sundar sadoka 3 mujhe behad pasand aaya ,sabhi acche lage ,hardik badhai
जवाब देंहटाएंआपके सभी सेदोका बेहतरीन हैं और मानव के मनोमस्तिष्क में चल रहे द्वन्द को व्यक्त करते हैं। हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत सा दर्द ... अपने-आप में समेटे हुए सेदोका ! दिल को छू गये...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
~सादर!!!
इन सेदोका की तारीफ किन शब्दों में करूँ...बहुत बेहतरीन...बधाई...|
जवाब देंहटाएंप्रियंका गुप्ता
दागी जाती है
जवाब देंहटाएंइज्जत के नेजे पे
बेजायका सी देह
चखी जाती है
झूठी मुस्कान संग
दर्द के बिस्तर पे ।
uf ek ek sadoka aapne me ek kitab se hain bahut bahut badhai
rachana
बहुत सुन्दर ...कुछ अलग सी भावाभिव्यक्ति .....बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सेदोका ...कुछ अलग सी भावाभिव्यक्ति ...बधाई !
जवाब देंहटाएंसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
दर्द भी जाने किन किन राहों से बदन में उतर जाता है...
जवाब देंहटाएंकैसी आवाजें
अँधेरे की पीठ पे
बदन को छू गईं !
नज़्म उतरी ,
तड़पकर आज
तेरा ख़याल आया !
सभी सेदोका दर्द में भीगे हुए ... बहुत उम्दा. सुन्दर सृजन के लिए बधाई हरकीरत जी.