गुरुवार, 15 अगस्त 2013

भटकी है आज़ादी

कृष्णा वर्मा
1
भटकी है आज़ादी
नीयत खोटी औ
देह रे है खादी।
2
कैसी आज़ादी है
अपने लूट रहे
घर की बरबादी है।
3
डर तुम फैलाते हो
अपने ही घर में
खुद आग लगाते हो।
4
कुर्बानी भूल गए
बेटे माँओं के
फाँसी पर झूल गए।
5
वीरों का रक्त बहे
आज़ादी पाने को
क्या-क्या जुल्महे
6
जो देश बचाते हैं
दुश्मन की गोली
सीने पर खाते हैं।




4 टिप्‍पणियां:

  1. सभी माहिया , बहुत सुन्दर है .आजादी के सुन्दर भाव उकेरे है आपने hardik shubhkamnaye krishna ji

    जवाब देंहटाएं
  2. krishna ji apke sabhi mahiya samvedana se bhare hain.badhai.

    pushpa mehra.

    जवाब देंहटाएं
  3. देश प्रेम की भावनाओं से परिपूर्ण बहुत सुन्दर माहिया ...हार्दिक बधाई आपको !

    सादर !

    जवाब देंहटाएं
  4. कैसी आज़ादी है
    अपने लूट रहे
    घर की बरबादी है।
    बहुत सच्ची तस्वीर...| बधाई...|
    प्रियंका गुप्ता

    जवाब देंहटाएं