गुरुवार, 15 अगस्त 2013

सबकी चिंता है

शशि पुरवार 
1
कैसी आजादी थी
भू का बँटवारा  
माँ की बर्बादी थी।

सरहद पे रहते है 
उनका दुख पूछो
वे क्या -क्या सहते हैं।
3
बतलाऊँ कैसे मैं 
सबकी चिंता है
घर आऊँ कैसे मैं ?
4
हैं घात भरी रातें
बैरी करते है
गोली की बरसातें।
5
प्रेम भरी ये बोली
दुश्मन क्या जाने
खेले खूनी होली
6
स्वर सारे गुंजित हो
गूँजे जन -गन -मन
भारत सुख रंजित हो।

-0-

8 टिप्‍पणियां:

  1. शशि जी ! आप के सभी माहिया मनभावन, अर्थवान और सामयिक हैं।
    आपको आजादी की साल गिरह की हार्दिक शुभकामनाएं और उत्तम सृजन के लिए बधाई !

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  2. bahut hi sundar mahiya sabhi vishes kar 2nd wala or last wala mujhe bahut hi badhiya laga .. @shashi ji ..subhkamnaye

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  3. देश प्रेम की भावनाओं से भरे सुन्दर माहिया शशि जी ...बहुत बधाई ....हार्दिक शुभ कामनाएँ !

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  4. batlaun kaise main sab ki chinta hai, ghar aaun kaise main.......prem bhari ye boli, dushman kya jaane , khelen khun ki holi

    Sashi ji,bahut sundar bhavavyakti, sashakt lekhan hetu , badhai. azadi ki varshganth ki hardik shubh kamanayen.

    pushpa mehra

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  5. subhash ji ,jyotsana ji , sunita ji ,pushpa ji aap sabhi ka tahe dil se abhaar ,aapka sneh anmol hai , abhaar

    sandhu ji , kamboj bhaisahab aapka tahe dil se abhaar .

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  6. वाह शशि जी,

    वीर सैनिकों के ह्रदय के भावों को बहुत ख़ूबसूरती से माहिया में बांधा है | मेरी अशेष सराहना स्वीकार करें

    सस्नेह,

    शशि पाधा

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  7. शशि,

    वाह! सैनिकों के मन की भावों को बहुत सुघड़ता से बांधा है आपने इन माहिया में | अशेष सराहना स्वीकार करें |

    सस्नेह,

    शशि

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  8. सब माहिया बहुत ही सुन्दर...हार्दिक बधाई...|
    प्रियंका गुप्ता

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