बुधवार, 18 सितंबर 2013

थके हैं आँसू

डॉ भावना कुँअर
1
टूटा जो मेरा
रंगीन मखमली
सपना,रूठे रंग,
कुछ फूलों में
छिप जा बैठे,उड़े
कुछ तितली संग।
2
मरती रही
तिल-तिलकर मैं
घुटन - कोठरी में,
खुला जो द्वार
मैं तीर-सी निकली
जा मीत- गले लगी।
3
थके हैं आँसू
पर रुक न सका
आँसुओं का सैलाब
बना दरिया
तैराते दिखे लोग
व्यंग्य बाणों की नौका।
4
बरसों से मैं
ढूँढती फिर रही
ऐसा सुहाना गाँव
बसी हो जहाँ
प्यार बन खुशबू
दुआएँ बन छाँव।
5
अपनी लगी,
जब थी मैं किसी की
उमड़ता था प्यार,
हुई जो तेरी
भूले से भी न होती
कभी आँखें भी चार।
6
बचती फिरूँ
डरी ,सहमी -सी मैं
हिरणी की तरह,
बना शिकारी
हमसफर  मेरा
निशाने पर थी  मैं
7
सह न पाऊँ
अकेलेपन का ये
पतझर  मौसम
इक रोज तो
पुकारेगा बसन्त
सोचूँ ,पीर भगाऊँ।
8
तेरे ये बोल
सुलगाए हैं मुझे
चिंगारियाँ हों जैसे,
उसकी बातें
 ठंडक देके जाएँ
अजनबी वो वैसे।
9
भूल न जाएँ
ये उड़ान भरना
रखना ध्यान जरा,
बुनने होंगे
सपने सुनहरे
छू ले गगन -धरा।

-0-

7 टिप्‍पणियां:

  1. बरसों से मैं
    ढूँढती फिर रही
    ऐसा सुहाना गाँव
    बसी हो जहाँ
    प्यार बन खुशबू
    दुआएँ बन छाँव।
    बहुत सुन्दर भावपूर्ण ...

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  2. सभी सेदोका बहुत सुन्दर - मन को भाये । डॉ भावना कुँअर जी बधाई देते हुए मैं यही कहना चाहता हूँ ," मन को भाएं / ऐसे सभी सेदोका / जो ये याद दिलाएं / रूठ गए वे / जो लगे थे अपने / कोरे थे वे सपने। "

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  3. भावना जी... सभी सेदोका दिल को चीरते हुए निकल गये.... तीसरा वाला तो पूछिए ही मत... :(
    सुंदर अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई!

    ~सादर!!!

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  4. बचती फिरूँ
    डरी ,सहमी -सी मैं
    हिरणी की तरह,
    बना शिकारी
    हमसफर मेरा
    निशाने पर थी मैं......

    सभी उत्कृष्ट प्रस्तुति है , लेकिन यह विशेष लगा .

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  5. बहुत सुन्दर सेदोका ......
    बरसों से मैं
    ढूँढती फिर रही
    ऐसा सुहाना गाँव
    बसी हो जहाँ
    प्यार बन खुशबू
    दुआएँ बन छाँव।...और ...

    भूल न जाएँ
    ये उड़ान भरना
    रखना ध्यान जरा,
    बुनने होंगे
    सपने सुनहरे
    छू ले गगन -धरा।...लाजवाब !!

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  6. थके हैं आँसू
    पर रुक न सका
    आँसुओं का सैलाब
    बना दरिया
    तैराते दिखे लोग
    व्यंग्य बाणों की नौका।

    बेहतरीन सेदोका मन को छू गया....भावना जी हर्दिक बधाई!

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  7. थके हैं आँसू
    पर रुक न सका
    आँसुओं का सैलाब
    बना दरिया
    तैराते दिखे लोग
    व्यंग्य बाणों की नौका।
    सभी सेदोका बहुत अच्छे लगे, पर ये वाला हमारे समाज की एक कटु सच्चाई बयान कर गया...| बधाई...|

    प्रियंका

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