सुदर्शन रत्नाकर
नहीं मरता
जीवित है रहता
हर दिल में
बसता है रावण
व्यर्थ है जाता
चाप पर चढ़ता
बाण राम का ।
पुतला है जलता
हर मन में
रावण है हँसता
छोड़ जाता है
अपने वंश -बीज
पोषित होते
पनपते रहते ।
झूठ -फ़रेब
लालच -भ्रष्टाचार
राम बाहर
रावण है भीतर
कैसे मरेगा?
राम – वनवास भी
कभी ख़त्म न होगा ।
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दुनियावी सच को कहता प्रभावपूर्ण चोका.....बधाई सुदर्शन जी !
जवाब देंहटाएंइस रावण को हमें सबसे पहले खुद के भीतर ही मारना होगा...|
जवाब देंहटाएंसामयिक, प्रभावपूर्ण चोका के लिए बहुत बधाई...|
प्रियंका
ek samyik rachna, aaj sirf prateekatmak hi nahin varan sach me kuch karne ki avashyakta hai
जवाब देंहटाएंबहुत सामयिक ...सार्थक सन्देश देता चोका ...बहुत बधाई !!
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