1-माहिया
शशि पुरवार
1
1
सिमटे नभ में तारे
दिलकश चाँद खिला
दिलकश चाँद खिला
हम दिल देकर हारे ।
2
फैली शीतल किरनें
मौसम भी बदला
फिर छंद लगे झरने ।
3
पूनो का चाँद खिला
रातों को जागे
चातक हैरान मिला।
4
हर डाली शरमाई
चंदा में देखे
प्रियतम की परछाई .
5
रातों चाँद निहारे
छवि इतनी प्यारी
मन में चाँद उतारे .
-0-
2-सेदोका
डॉ सरस्वती माथुर
1
शरद चाँद
अमृत रस भर
धरा पर लुटाये
गोटेदार सी
चाँदनी की किनारी
नभ को दमकाए l
2
चाँदनी रात
अमृत रस भर
चाँद के संग जागे
बौराई रात
नशीली होकर के
खींचे चाँद के धागे l
-0-
दिल का चाँद सुंदर रचनाओं को वाह - वाह कह रहा है ,
जवाब देंहटाएंबधाई दोनों विदुषियों को .
बहुत सुन्दर.. मधुर माहिया छंद शशि जी ...बधाई !!
जवाब देंहटाएंअमृतमय सेदोका ...बहुत बधाई सरस्वती जी
अति सुन्दर माहिया और बहुत सुन्दर सेदोका !
जवाब देंहटाएंशशि पुरवार जी, सरस्वती जी बहुत बधाई !
शशि जी... बहुत भावपूर्ण माहिया! चाँदनी रात का बहुत सुंदर चित्रण!
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई!
डॉ. सरस्वती जी... शरद पूर्णिमा का सुंदर चित्रण!
हार्दिक बधाई!
~सादर
अनिता ललित
bahut bahut dhanyavad sakhiyon , sneh banaye rakhen
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर माहिया...खास तौर से इसके लिए शशि जी को बधाई...
जवाब देंहटाएंपूनो का चाँद खिला
रातों को जागे
चातक हैरान मिला।
और डॉ. सरस्वती जी को भावपूर्ण सेदोका के लिए हार्दिक बधाई...|
ये ज्यादा भाया...
चाँदनी रात
अमृत रस भर
चाँद के संग जागे
बौराई रात
नशीली होकर के
खींचे चाँद के धागे l
प्रियंका