सोमवार, 28 अक्टूबर 2013

आते ही यादें

डॉ सरस्वती माथुर
1
मुझको वो छलते हैं 
अब मिलने को वो
दिन -रात मचलते हैं l
2
मन भी  तो तरसे है
आते ही यादें
आँखे भी बरसे है l
3
मैं तो पीकर हाला
करती याद तुझे
जपती तेरी माला l

-0-

6 टिप्‍पणियां:

  1. मधुर भाव भरे सुन्दर माहिया ..बहुत बधाई सरस्वती जी

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  2. mujhko ve chalate hain,ab milane ko ve,din-rat machalate hain.
    bahut sunder prastuti mathur jibadhai.
    pushpa mehra.

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  3. लाजवाब त्रिवेणी ... उनकी यादें पीकर हाला ...

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  4. मन भी तो तरसे है
    आते ही यादें
    आँखे भी बरसे है l

    बहुत सुंदर।

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  5. दिल तक पहुँचने वाले माहिया के लिए बहुत बहुत बधाई...|

    प्रियंका

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