बुधवार, 9 जुलाई 2014

घटा साँवरी



अनिता ललित

छाया-काम्बोज

घटा साँवरी
पहन के पायल
बूँदों से सजी,
हवाओं की धुन पे
आज मचली,
बहकी मतवाली
हुई बावरी !
खनके रुनझुन
बूँदें घुँघरू
छलके रिमझिम
यादों के मोती,
धरा के आँचल को
प्यार से छूते,
महकाते, भिगोते
प्रेम-राग सुनाते।
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7 टिप्‍पणियां:

  1. फुहारों भरा चोका मन को भिगो गया अनिता जी.....बधाई !

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  2. आहा ...सुन्दर स्वागत ..वर्षा सुन्दरी का !!!!

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति अनिता जी ...बधाई !!!

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  3. bahut sunder choka likha hai. anita ji apako badhai.
    pushpa mehra.

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  4. मनुकाव्य जी, कृष्णा दीदी, ज्योत्स्ना शर्मा जी, पुष्पा जी सराहना एवं प्रोत्साहन देने का हार्दिक आभार !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  5. waah ! kya baat hai anita ji...varsha ritu par sundar choke ne mann ko prafullit kar diya...badhai ho ....

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  6. मनभावन बारिश की बूंदों सा मनमोहक चोका...हार्दिक बधाई...|

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