शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

हे विहंगिनी !





कुमुद रामानन्द बंसल

1

मधुर   स्वर,

धुन  है  पहचानी

हे  विहंगिनी!

तुझ-सा  ही आनन्द

पाएगा  मेरा  मन 

2

चिनार-वृक्ष,

हिमरंजित  वन,

धरा-वक्ष  पे

घूमते  बादलों  की

मीठी-सी  है  छुअन 

3

शरद्  ॠतु  में

झड़ा  हरेक  पात,

सूनी  शाखों  की

दर्द  भरी  है  बात

सुनती  दिन-रात 

4

भीनी-सी  गन्ध

पीली-पीली  सरसों

मंजरी - गुच्छ,

झरते  बेला ­ पुष्प

सूँघे  मन  बरसो 

5

मेघ-तड़ित

रूठते-झगड़ते,

आँखमिचौली

सूर्य,  मेघ,  पवन,

देखी  इन्हीं  नयन 

6

सौ सौ  ठौर  हैं

विचरण  के  लिए,

नभ  छू  कर

लौट  आता  है  पिक,

तृण-नीड़  अपने 

7

कृश  है  काया,

मुट्ठी  भर  है  मिट्टी,

छोटे - से  पंख,

उड़ान  गजब  की,

गगन  को  हराती 

8

शाख  पे  बैठे

बतियाएँ  परिन्दे,

गाते  सुमन,

पग  घुँघुरू  बाँध

नाचता  उपवन 

9

मधु ॠतु  है

बौराये  आम्र-वृक्ष,

पलाश  डालें

पुष्पित  हुईं,  भौरे

गाएँ  गान  वासन्ती 

10

इस  ख्याल  ने

चिड़िया  के  परो  में

ऊर्जा  भर  दी,

बाट  जोहते  होंगे

बच्चे  चुग्गे  के  लिए 

11

हवा  का  झोंका,

पंछी  गुनगुनाएँ,

हज़ार  गीत।

उड़ी  तितली  संग

तोड़  कर  बन्धन 

-0-

( सद्य प्रकाशित संग्रह हे विहंगिनी' से )

9 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (24-01-2015) को "लगता है बसन्त आया है" (चर्चा-1868) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    बसन्तपञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. चिनार-वृक्ष,

    हिमरंजित वन,

    धरा-वक्ष पे

    घूमते बादलों की

    मीठी-सी है छुअन ।
    komal bhav sunder likha hai aapne bahut bahut badhai
    rachana

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  3. बहुत मनमोहक भावचित्र... सुन्दर ताँका के लिए बधाई.

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  4. प्रकृति, कल्पना और भाषा का सुन्दर संयोजन | बहुत ही कोमल रचनाएँ | बधाई आपको एवं आभार सम्पादक द्वय |

    शशि पाधा

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  5. is khyal ne, pankhon mein udan bhar di......bahut sunder panktiyan hain.kumud ji badhai.
    pushpa mehra.

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  6. sunder shabd chyan,bhavy bhaav chitr v meethi si kalpnaao se sajee badi manmohak rachna.....badhai ho kumud jee.

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  7. ati sunder bhavyabhivyakti kumud ji. Bahut bahut badhai.

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