शुक्रवार, 13 मार्च 2015

नूतन भोर




डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
1
छाया:डॉ.नूतन गैरोला
शर्मीली भोर
उतरी धीरे-धीरे
पूर्व की ओर
लो डाल गया रंग
ये कौन ? हुई दंग ।

2
खेल तो लूँ मैं
होली संग तुम्हारे
ज्यों रंग डालूँ
तुमपे कान्हा ,भीगें
मन,प्राण हमारे
-0-

10 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद ख़ूबसूरत दोनों तांका ज्योत्स्ना जी हार्दिक बधाई!

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  2. वाह! कोमल सी भोर का बहुत ख़ूबसूरत चित्रण !
    दोनों ताँका लाजवाब ज्योत्स्ना जी !
    बहुत-बहुत बधाई इस सुंदर सृजन के लिए !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  3. हृदय से आभार आप सभी का !

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  4. बहुत ही सुन्दर भाव पिरोया है ज्योत्स्नजी

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  5. सुन्दर तांका और प्यारा सा चित्र...ढेरों बधाई...|

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