सोमवार, 9 मार्च 2015

ला दो गुलाल-साजन की प्रीत सा



अनिता ललित

बही तरंग
तितलियों के संग,
मेरे आँगन-
क्या ख़ूब खिले आज
फूलों के रंग !
बहकी बयार है,
खोया है मन
पूनम के चाँद में-
ढूँढ़े सजन।
बीते बरस जब
गूँजी थी धुन,
भीगा था तन-मन
टेसू के संग
अबीर-गुलाल थे
बातों के रंग !
यादों की गलियों में
ख़्वाबों को चुन,
सजल नयन ये
हुए हैं गुम।
कहाँ खोई होली की
वह बौछार?
फागुन के गीत वो
प्रीतोपहार ?
करो कोई जतन
हो न मलाल-
कि अबकी फागुन
ला दो गुलाल,
साजन की प्रीत सा
मनभावन-
जो महका दे मन
जो रंग दे जीवन !
-0-

11 टिप्‍पणियां:

  1. waah waah bahut behtreen srijan preet ki pyaas rango ki bhaar liye ...badhaayi Anita ji really too gud :)

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  2. preei ki aas liye manbhavan choka...anita ji aapko bahut -bahut bashai .

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  3. होली के रंगों में रंगा बहुत ही सुन्दर चोका. होली का इसमें रंग चोखा है. अनिता जी को बधाई. सुरेन्द्र वर्मा

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  4. आप के स्नेही प्रोत्साहन का हृदय से आभार गुंजन जी, ज्योत्स्ना जी तथा आ. डॉ. सुरेन्द्र वर्मा जी।

    ~सादर
    अनिता ललित

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  5. वाह अनीता जी, आप ने तो सारे रंग उढ़ेल दिए | बहुत सुन्दर तांका | बधाई

    शशि पाधा

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  6. sundar bhaavanaon ke rang se saja bahut sundar choka ..haardik badhaaii Anita ji !

    shubh kaamanaaon ke saath

    jyotsna sharma

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  7. bahut sunder panktiyan hain . anita ji apako badhai.
    pushpa mehra.

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  8. विभिन भावों के रंग में डूबा एक खूबसूरत चोका...|
    हार्दिक बधाई...|

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