मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

उमड़े, फिर बरस गए



डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1-माहिया
1
उमड़े, फिर बरस गए
ये नैना कान्हा
दर्शन को तरस गए ।
2
दिल खूब चुराता है
लाल यशोदा का
फिर भी क्यों भाता है ।
3
मन उजला तन काला
मोह गया मोहन
मन, बाँसुरिया वाला ।
4
मुख अमरित का प्याला
कितनी छेड़ करे
यह नटखट, गोपाला !
5
भोली -सी सूरत पे
रीझ गई रसिया
मैं प्यारी मूरत पे ।
6
भक्तों को मान दिया ।
मोह पड़े अर्जुन
गीता का ज्ञान दिया ।
-0-
ताँका
 1
बुहार दिए
निराशा के पत्रक
जा पतझर !
सुधियों की वीणा है
पाया रस निर्झर !
2
तुम सूरज !
मैं रससिक्त धरा
खूब तपा लो,
मेरे मन यादों का
गुलमोहर झरा ।
-0-

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर रचनाएं!
    ज्योत्स्ना जी शुभकामनायें!

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  2. प्रोत्साहन के लिए संपादक द्वय एवं अमित जी के प्रति हृदय से आभार !

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  3. वाह! मन प्रसन्न हो जाता है ज्योत्स्ना सखी जी आपकी रचनाएँ पढ़कर ! बहुत ही मधुर, भावपूर्ण-मनमोहने वाले माहिया एवं 'यादों का झरता गुलमोहर' ! अतिसुन्दर!
    ह्रदय से बधाई आपको !

    ~सादर-सप्रेम
    अनिता ललित

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  4. दोनों ताँका , खूब चोखा रंग , बधाई. -सुरेन्द्र वर्मा

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  5. आदरणीय डॉ. वर्मा जी एवं प्रिय सखी अनिता जी ..सुन्दर,सरस प्रतिक्रियाओं के बिना मेरी लेखनी उदास और मन निराश हो जाता है .. :)

    सहृदय उपस्थिति के लिए बहुत-बहुत आभार आपका ..नमन !

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  6. वाह ज्योत्स्ना जी, माहिया की गेयता और तांका के शब्द सौष्ठव ने अभिभूत किया | बधाई आपको |

    सस्नेह,
    शशि पाधा

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  7. mahiya aur tanka dono hisunder hain. jyotsna ji badhai .
    pushpa mehra.b

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  8. hruday se aabhaar aadraneey Kashmiri Lal ji , Shashi didi , Sunita ji , Pushpa didi evam Dr.Bhawna ji ...prerak pratikriya hetu bahut bahut dhanyawaad !

    yun hii sneh banaaye rakhiyega !

    saadar
    jyotsna sharma

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  9. बहुत प्यारे माहिया और तांका...| हार्दिक बधाई...|

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