रविवार, 10 मई 2015

माँ रहती साँसों में



डॉ सरस्वती माथुर
1
मन से बँधा
कोमल अहसास
माँ- ईश, माँ विश्वास
न होकर भी
माँ रहती साँसों में
साए-सी आसपास।
2
माँ है चन्दन
है आत्मिक बंधन
वात्सल्य- रस भरे
दु:ख- सुख में
सदा साथ निभाती
आशा भर जाती माँ
3
माँ तुम तो हो
कविता- संग्रह सी
मन पन्नो में रची
महाछन्द हो
रोज उगती हो माँ   
तुम सूरज बन।l
 4
माँ का क्या मोल
वो तो है अनमोल
सागर -सी विशाल
तरु छाँव -सी
बच्चों की  प्रहरी माँ
सिंधु-सी  गहरी माँ
-0-

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भावपू्र्ण सेदोका सरस्वती जी...हार्दिक बधाई!

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  2. बहुत सुंदर सेदोका!
    हार्दिक बधाई सरस्वती माथुर जी
    एवं
    'मातृ-दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएँ !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  3. माँ का क्या मोल
    वो तो है अनमोल
    सागर -सी विशाल
    तरु छाँव -सी
    बच्चों की प्रहरी माँ
    सिंधु-सी गहरी माँ

    Bahut sundar...bahut bahut badhai...

    जवाब देंहटाएं
  4. माँ का क्या मोल
    वो तो है अनमोल
    सागर -सी विशाल
    तरु छाँव -सी
    बच्चों की प्रहरी माँ
    सिंधु-सी गहरी माँ

    Bahut sundar...bahut bahut badhai...

    जवाब देंहटाएं
  5. ma ka kya mol....... bachon ki prahari ma , sindhu si gahari ma.
    bahut sunder panktiyan , anya sabhi sedoka ka nichoD hain.badhai mathur ji.
    b pushpa mehra.

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  6. बेहद सुन्दर सेदोका, सरस्वती जी!
    हार्दिक अभिनन्दन!

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  7. माँ तुम तो हो
    कविता- संग्रह सी
    मन पन्नो में रची
    महाछन्द हो
    रोज उगती हो माँ
    तुम सूरज बन।BADA HI BHAAVPURN SEDOKA SARSWATIJI...HAARDIK BADHAI .

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  8. माँ तो अनमोल होती है...| उनको समर्पित सभी सेदोका मन को बहुत भाये...| हार्दिक बधाई...|

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