शुक्रवार, 14 अगस्त 2015

सूना हृदय-नीड़



चोका

1-सुशीला शिवराण

आओ पंछियो
करुणा के संदेश
लाओ पंछियो !
भोली प्रीत के गीत
गाओ पंछियो
मन-अँगना जोहे
बाट पंछियो
सूना हृदय-नीड़
बसो पंछियो
करो प्रेम-किलोल
आज पंछियो
बन प्रेम के दूत
उड़ो पंछियो
तुम-सा मासूम हो
दिल इन्सां का
रब से यही दुआ
करना रे  पंछियो ।
        -0-
2- हरकीरत हीर
1
छलक आई
ख़ामोश पलकों से
पूछे तन्हाई
फासले ये दरम्यां
हुए क्यों ऐसे ?
ढलती रही रात
तन्हा अकेली
जीवन बना जैसे
एक पहेली
समाधि लिए बैठा
दर्द निगोड़ा
लौट के नहीं आया
हंसों का जोड़ा
उधड़ गए साई !
इश्क़ के धागे
सूना -सूना सा अब
जीवन लागे
बुला पास अपने
तू गले से लगा ले ।
2
तुम्हें याद है
कभी हम तुम भी
यूँ ही चले थे
लिए हाथों में हाथ
वादों के साथ
कभी न होंगे जुदा
रहेंगे सदा
इन परिंदों के से
जीवन भर
इक दूजे के साथ
उन दिनों में
चाँदनी हँसती थी
भँवरे गाते
छत की मुंडेर पे
यही दो पक्षी
देख देख मुस्काते
नज़्मों में मेरी
मुहब्बत बसी थी
लफ़्ज़ों में मिल
रातरानी खिली थी
इश्क़ में डूबी
सारी कायनात थी
बरसों हुए
तुझसे जुदा हुए
यादों के अक्स
न तेरे विदा हुए
हँसी जो कभी
ज़िन्दगी तेरे साथ
वो आखिरी हँसी थी ।
-0-

13 टिप्‍पणियां:

  1. निगोड़े दर्द की अनुभूत अभिव्यक्ति मन को अंदर तक
    छू गई। हीर जी बधाई।

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  2. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
    बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार !

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  3. पंछियों के माध्यम से सुंदर सन्देश शुशीला जी ने दिया।बधाई।

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  4. सुशीला जी और हरकीरत जी सुन्दर भावाभिव्यक्ति है . हार्दिक बधाई .

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  5. मन को छू गईं रचनाएँ ...बहुत भावपूर्ण !

    सुशीला जी और हरकीरत हीर जी को हार्दिक बधाई !

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  6. सुशीला जी और हरकीरत जी सुन्दर भावाभिव्यक्ति है|मन को छू गईं रचनाएँ| सुशीला जी और हरकीरत हीर जी को हार्दिक बधाई!!!

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  7. मन को छूतीं बेहद खूबसूरत रचनाएँ....सुशीला जी, हरकीरत हीर जी....हार्दिक बधाई!

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  8. तुम-सा मासूम हो
    दिल इन्सां का
    रब से यही दुआ
    करना रे पंछियो । sndesh deti sundr pnktiyaan , utkrisht bhaav
    लफ़्ज़ों में मिल रातरानी खिली थी इश्क़ में डूबी सारी कायनात थी बरसों हुए तुझसे जुदा हुए यादों के अक्स न तेरे विदा हुए हँसी जो कभी ज़िन्दगी तेरे साथ वो आखिरी हँसी थी ।
    sundr dil ko chu dene vaala choukaa
    aap donon ko badhai

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  9. ठपंछियो का आवाहन और उन्हें प्रेम सन्देशवाहक बनाना , शुशीला जी बहुत सुन्दर लगा और हरकीरत जी आप चोका मन कोछू गया ... लफ्जों में मिल रातरानी खिली थी / इश्क में डूबी सारी कायनात थी।आप दोनों की रचनाये काबिले तारीफ हैं दोनों को हार्दिक वधाई।

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  10. Sabhi ne itna achha likha ki man kahin purani yadon mem kho gaya bahut bhavpurn ,artpuran man par jadu sa kar gaya ye lekhan meri hardik badhai...

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  11. मन को छू गयी दोनों रचनाएँ !
    बहुत बधाई... सुशीला जी एवं हीर जी!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  12. सुशीला जी का चोका बहुत पसंद आया |
    हीर जी...
    हँसी जो कभी
    ज़िन्दगी तेरे साथ
    वो आखिरी हँसी थी ।
    बहुत मार्मिक लगी ये पंक्तियाँ...| आप तो अक्सर ही आंसू ले आती हैं आँखों में...|
    आप दोनों को बहुत बधाई...|

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