गुरुवार, 20 अगस्त 2015

सागर की धारा है



 सुदर्शन रत्नाकर
1
सागर की धारा है
चप्पू टूट गया
मिलता न किनारा है ।
2
रिश्तों की बात करो
साथ निभाना है
तो नीयत साफ़ करो
3
तेज़ हवा का झोंका
भीतर आने दो
किसने रस्ता रोका ।
4
काले मेघा छाए
मन तो तरस रहा
प्रीतम घर ना आए।
-0-

9 टिप्‍पणियां:

  1. सागर की धारा है
    चप्पू टूट गया
    मिलता न किनारा है ।
    बहुत बढ़िया...| मनभावन माहिया के लिए हार्दिक बधाई...|

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  2. रिश्तों की बात करो
    साथ निभाना है
    तो नीयत साफ़ करो
    rishton ki schchaai ko darshtaa sbhi sundr maahiyaa

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  3. रिश्तों की बात करो .....मन से निकली बात है और इसमें सच्चाई भी है |बधाई सुदर्शन जी |

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  4. रिश्तों की बात करो
    साथ निभाना है
    तो नीयत साफ़ करो
    बहुत सही कहा... काश! लोग इस बात को समझ पाते... बधाई आपको।

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  5. सागर की धारा है
    चप्पू टूट गया
    मिलता न किनारा है ।

    javab nahi bahut bahut badhai..

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  6. सुंदर माहिया हेतु हार्दिक बधाई सुदर्शन दीदी जी!
    रिश्तों की बात करो
    साथ निभाना है
    तो नीयत साफ़ करो--बहुत सही बात कही !!!

    सागर की धारा है
    चप्पू टूट गया
    मिलता न किनारा है--बहुत बढ़िया !!!


    ~सादर
    अनिता ललित

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  7. सागर की धारा है
    चप्पू टूट गया
    मिलता न किनारा है ।

    बहुत अच्छे माहिया। शुभकामनाएँ

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  8. sabhi maahiyaa sundar ....

    saagar kii dhaaraa ...rishton kii bat ...anupam ..haardik badhaaii !

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  9. मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आप सब का हार्दिक धन्यवाद। आभार।

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