शनिवार, 5 सितंबर 2015

कृष्ण साक्षात्



            -ज्योत्स्ना 'प्रदीप'
हे योगमाया !
तुम हो एक साध
महानंद की
अनुभूति -अगाध !
ओज -सुवास
सहस्रों कुसुमों का
शुभ्र माखन,
स्निग्धता व मिठास  !
विशुद्ध प्रेम
सम्पूर्ण अवधि हो ,
धैर्य ,शान्ति का
एक महाजलधि !
तुम पूजन
नैवेद्य , पंचामृत
तुम ही तो हो
अतृप्त- आत्मा- व्रत
तुम प्रसव
गति हो ,संहार हो
सत्व -भाव का
अविरल  विस्तार 
महाप्रकृति
ब्रह्माण्ड -महागान
दिव्यता का हो
चिर -अनुसंधान !
हो  महाशून्य
अद्भुत महारास ,
तुम ही  राधा -
ये दिवस प्रभात
हो स्वयं  कृष्ण साक्षात् !
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11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही खूबसूरती से कृष्ण साक्षात किया है और लिखा है बधाई ज्योत्सना जी |

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  2. बहुत सुन्दर चोका ज्योत्स्ना जी बहुत बधाई!

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  3. ज्योत्सना प्रदीप जी।कृष्ण साक्षात मे ।आपने कितनी विद्वता से चोका लिखा ।चहूँ ओर विराट का दर्शन होने लगा ।बहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना है ।वधाई ।

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  4. योगमाया से कृष्ण साक्षात तक अद्भुत अभिव्यक्ति ज्योत्स्ना जी !

    हार्दिक बधाई ..सादर नमन आपको !

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  5. सुंदर चोका के लिए बहुत बधाई आपको ज्योत्स्ना जी !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  6. bada hi sundar choke ki prastuti ki hai jyotsana ji aapki lekhni sadaiv hi prernadayak hoti hai....aapko mera hardik naman....

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  7. अति सुन्दर...| जैसे श्रीकृष्ण जैसा ही मनोहारी...| बधाई...|

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