सन्दली सवेर
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छाया: कमला निखुर्पा |
आधे चाँद तथा तारों की चूनर वाली स्याह काली रात कब की बीत चुकी थी। संदली सुबह की आनन्दमयी महक आँगन को महका रही थी। सिंदूरी सवेर की गुलाबी हवा में हौले-हौले से वृक्षों के पत्ते हिल रहे थे। मैने दो-चार लम्बी साँसें लीं तथा ताज़ी हवा के संग रंगीन कुदरत को भी अपनी साँसों द्वारा अपनी रूह में मिलाने की कोशिश की। शायद मुझे थोड़ी कामयाबी भी मिली।
अब मेरी रूह खिल गई थी। मुझे लगा जैसे पूरा आलम ही ख़ुशी तथा नई तरंगों से झूम रहा हो। आज नए वर्ष वाले दिन वृक्षों की टहनियों में से होकर आती ठंडी हवा भी कुदरत को नए वर्ष की मुबारकबाद दे रही लगती है। ज़मीन पर बिछी घास धरा को प्यार तथा ममतामय चुंबन देकर 'नया साल मुबारक' ही तो कह रही है। बगीची में खिले फूल भी हवा के झोंके के संग नाचते प्रतीत हो रहे हैं।
मुझे पता ही न चला कब मेरे कदम मुझे नदी के किनारे ले आए. नर्म-नर्म तरल भीगी घास पर धीरे-धीरे चलते मुझे ऐसा लगा जैसे यह तरल बूँदें भी चढ़ते सूर्य की लाली वाली चमकती धूप से दीप्त नए वर्ष का स्वागत कर रही हों। चलती मन्द-मन्द समीर ने ज़िंदगी को और तरोताज़ा और नवल रूप दे दिया था। भौरों की मस्ती भरा संगीत हवा की शाँय-शाँय में घुलकर मोह का अहसास करवा रहा था। कहते हैं कि मोह ऐसी दौलत है जिस को जितना खर्चो उतनी बढ़ती है। यह कोई महज़ब भी तो नहीं है, मगर ऐसी दरगाह है जहाँ हर शीश झुकता है।
पत्तों में से छनकर आती सूर्य की लो मुझे ज़िंदगी में तरक्की की बुलंदियों को छूने के लिए संघर्ष करने का संकल्प लेने का संदेश देती प्रतीत हो रही थीं।
रंगीला पानी-
पत्तों में से छनती
सूरज की लौ।
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बहुत सुन्दर हाइबन!
जवाब देंहटाएंIt's almost a word painting..
हार्दिक शुभकामनाएँ डॉ. संधु
बहुत ही रोचक मनमोहक हाइबन...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक मनमोहक हाइबन...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!!
जवाब देंहटाएंअति सुदर हाइबन! निर्झर सी बहती शब्दावलि। बधाई हरदीप जी को
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअति सुदर हाइबन! निर्झर सी बहती शब्दावलि। बधाई हरदीप जी को
जवाब देंहटाएंनई सबेर ,नये साल की शुभकामना लिये लिखा कुदरत की सुन्दरता का चित्र खींचता हाइबन बहुत बहुत सुन्दर लगा ।हरदीप जी शुभकानायें सारे त्रिवेनी परिवार को ।विश्व को मोह के बंधन में बान्धे रखे यह नया साल मंगलमय हो सब के लिये ।बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रकृति के उपादानों से संदेश लेता, रूह में समाता रेखचित्र सभी को मोहबंध में बाँध रहा है बहन संधु जी नये साल की बहुत-बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंपुष्पा मेहरा
डॉ हरदीप जी स्याह काली रात के बाद संदली सुबह का आगमन ठंडी ठंडी हवाओं संग उस सुबह का आनंद उठाना ,पूरा चित्रण बहुत सजीव कर हाइबन द्वारा पाठकों के समक्ष रख दिया है , नव वर्ष की हार्दिक बधाई .
जवाब देंहटाएंजैसे आँखों के आगे एक फिल्म सी चल गई हो, बहुत सुन्दर हाइबन...| हार्दिक बधाई...नए साल की शुभकामनाओं सहित...|
जवाब देंहटाएंThe best article
जवाब देंहटाएंWe like so much
जवाब देंहटाएंप्राकृतिक छटा बिखेरता बहुत सुंदर हाइबन हरदीपजी। बधाई
जवाब देंहटाएंBahut khub bahut bahut badhai
जवाब देंहटाएंप्रकृति के ख़ूबसूरत एहसास से जुड़ा बहुत सुन्दर हाइबन ..हार्दिक बधाई हरदीप जी !
जवाब देंहटाएंकुदरत का स्वप्निल एहसास काश मानव समसामयिक जीवन में भी कर पाता...बहुत खूब..dr hardeep ji
जवाब देंहटाएंकुदरत का स्वप्निल एहसास काश मानव समसामयिक जीवन में भी कर पाता...बहुत खूब..dr hardeep ji
जवाब देंहटाएंअति सुदर !प्राकृतिक छटा बिखेरता बहुत मनमोहक हाइबन...हार्दिक बधाई हरदीप जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सजीला हाइबन ।हार्दिक बधाई हरदीप जी आपको।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सजीला हाइबन ।हार्दिक बधाई हरदीप जी आपको।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सजीला हाइबन ।हार्दिक बधाई हरदीप जी आपको।
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