बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

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सपना मांगलिक

1
सबने ही ठुकराया

गम बस अपना था

साथ उसे ही पाया ।

2

आखिर कुछ तो कहता

रह न सही दिल में

इन आँखों में रहता ।

3

पाकर सब खोती हूँ

तन्हा रातों में

अक्सर मैं रोती हूँ ।

4

पल भर का डेरा है

कल उड़ जाना है

जग रैन बसेरा है ।

5

दिल कहता बेचारा

मैं कुछ नादाँ हूँ

थोड़ा- सा आवारा ।

6

नजरों के पैमाने

आये लौट यहीं

जो कल थे मयखाने ।

7

मेरा दिल बहला दे

आज डुबा खुद में

मुझको पार लगा दे ।

8

अब कुछ न मुझे भा

बस पन्थ निहारूँ

काश कि तू आ जाए।

9

गीत मधुर गाएँगे

इश्क मिटा दे तू

हम प्रीत निभाएँगे ।

10


वो दर्द भुलाता है

लोग समझते हैं

मस्ती में गाता है ।

11

भूल गए मयखाने

पी आये जबसे

नजरों के पैमाने ।

12

माँग रही कुछ रब से

उस भोलेपन ने

दिल जीत लिया बसे ।

-0-

14 टिप्‍पणियां:

  1. माँग रही कुछ रब से
    उस भोलेपन ने
    दिल जीत लिया जबसे ।

    bahut khoob
    rachana

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  2. वाह! सभी माहिया बहुत-बहुत सुंदर!
    हार्दिक बधाई सपना जी!!!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  3. धन्यवाद अनीता जी और मेरा साहित्य .सपना मांगलिक

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  4. बहुत सुन्दर रचनाएँ!
    सपना जी, शुभकामनायें!!

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  5. पल भर का डेरा है
    कल उड़ जाना है
    जग रैन बसेरा है ।
    कितनी हकीकत सरलता से भावों की अभिव्यक्ति है , लेकिन इंसान तो आखिरी डीएम तक मोह - माया के जाल में फंसा रहता है .
    सभी लाजवाब

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  6. वाह सपना जी बहुत सुंदर माहिया लगे। बधाई

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  7. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18-02-2016 को वैकल्पिक चर्चा मंच पर दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  8. सपना जी यूँ ही लिखती रहिये .शुभकामनाएं.

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  9. वाह सपना जी बहूत ही खूबसूरत सभी माहिया ,,,,,,बधाई आपको

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  10. बहुत अच्छे माहिया...हार्दिक बधाई...|

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