सोमवार, 3 अक्टूबर 2016

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शशि पाधा
1
क्यों रुक ना पाते हो
पवन झकोरे से
क्यों आते जाते हो ।
2
क्यों तुमने रोका ना
मन के द्वारे पर
क्यों मुझको टोका ना ।
3
बंधन की डोरी से
बाँध ना पाऊँगी
अब ज़ोराजोरी से ।
4
हम तो बंजारे हैं
रुकना ना जाने
आदत के मारे हैं ।
5
जानूँ -पछताओगे
मन की भटकन से
खुद लौट के आओगे ।
6
हम मन के सच्चे हैं
धागे बंधन के
कुछ तेरे कच्चे हैं ।
7
भरमाते रहते हो
झूठी बातों से
तरसाते रहते हो ।
8
लो मान लिया हमने -
अब ना लौटेंगे
बस ठान लिया हमने ।
-0-

15 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन के यथार्थ को कहीं शिकायत करते हुए , कहीं व्यंग्य करते हुए मनमोहक माहिया ।
    बधाई

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  2. जीवन के यथार्थ को कहीं शिकायत करते हुए , कहीं व्यंग्य करते हुए मनमोहक माहिया ।
    बधाई

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  3. हम मन के सच्चे हैं
    धागे बंधन के
    कुछ तेरे कच्चे हैं ।
    शशि जी सभी माहिया मनभावन हैं ।
    सरस माहिया के लिए बहुत बधाई ।
    सस्नेह विभा रश्मि

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  4. हम मन के सच्चे हैं
    धागे बंधन के
    कुछ तेरे कच्चे हैं ।
    शशि जी सभी माहिया मनभावन हैं ।
    सरस माहिया के लिए बहुत बधाई ।
    सस्नेह विभा रश्मि

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छे माहिया शशि जी बधाई

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  6. भरमाते रहते हो
    झूठी बातों से
    तरसाते रहते हो ।


    बेहतरीन सत्य...

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  7. हम तो बंजारे हैं
    रुकना ना जाने
    आदत के मारे हैं ।
    बहुत सही कहा आपने ।सभी माहिया दिल को छूने वाले हैं
    बहुत- बहुत बधाई।

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  8. बहुत सुन्दर, सरस माहिया शशि जी बधाई!

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  9. हम तो बंजारे हैं
    रुकना ना जाने
    आदत के मारे हैं ।...... बहुत सुंदर रचनाएं शशि जी।

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  10. शशि जी बहुत सुंदर भावपूर्ण माहिया

    बंधन की डोरी से
    बाँध ना पाऊँगी
    अब ज़ोराजोरी से ।
    सभी माहिया बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  11. शशि जी, जीवन की वास्तविकता से पूर्ण बहुत सुन्दर भावों से ओत प्रोत माहिया हैं हार्दिक बधाई ।

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  12. क्यों तुमने रोका ना
    मन के द्वारे पर
    क्यों मुझको टोका ना ।
    अक्सर हम अपने प्रिय द्वारा पुकारे जाने के इंतज़ार में इतना दूर आ जाते हैं कि लौटना नामुमकिन लगने लगता है | सभी माहिया बहुत अच्छे हैं, पर यह वाला बहुत भाया...| हार्दिक बधाई...|

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  13. माहिया पसंद करने के लिए एवं अपनी अपनी पसंद के माहिया इंगित करने के लिए आप सब का आभार |

    सस्नेह,
    शशि पाधा

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  14. शशिजी बहुत सुंदर माहिया। मन को छू गए।

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  15. शशि जी बहुत भावपूर्ण माहिया !!

    बंधन की डोरी से
    बाँध ना पाऊँगी
    अब ज़ोराजोरी से ।
    बहुत सुंदर!!! हार्दिक बधाई...|

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