रविवार, 26 अप्रैल 2020

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रमेश कुमार सोनी , बसना
1
निजी स्कूलों में
शिक्षा– दीक्षा महँगे 
सब बेचते
क्रेता पंक्ति में खड़े
सपने खरीदने।
 2
सुख नेवला
दुःख सँपोला डरा
ड्योढ़ी से लौटा
वन , बागों में छिपा
डसने को ताकता।
3
आँसू सूखे हैं
ब्रिस्तान का पेड़
गिनती भूला
शवों को काँधा देते
कर्फ्यू क्यों लगता है ?
 4
ठूँठ खड़े हैं
इंसाके दर पे
कंक्रीट गाँव
तलाशते हैं छाँव
मौसम पिया रूठा।
 5
चाँद बेचारा
अमावस से डरे
सितारे भेजे
बच्चे सँभाले कौन ?
रात जल्दी बीतती।
6
सब खामोश
आँख, कान,  जुबान
गिला–शिकवा
उम्र की जेबें ख़ाली
पैसा बोलता रहा।
 7
किसान जाने
दाने का मोल सदा
लिखा किसने
खाने वालों के नाम ?
बोते ये , खाते कोई !!
8
शहर सारे
दौलतों के उजाले
गाँव सिसके
दुःख, क़र्ज़, अँधेरे
पुरखों-से तरसे।
 9
राजा की रानी
रोज वही कहानी
नानी सुनाती
थकके शाम लौटी
बच्चों संग सो जाती।
10
बेटियाँ भोली
कौन घर अपना
बूझ न पाती
एक घर से डोली चली
दूजे से अर्थी उठी।
 11
कुछ ना तय
जिंदगी की परीक्षा
पास या फेल ?
रटा–घोंटा बेकार
रोज ही आर–पार।
 12
संस्कृति रोती
सभ्यता-पाँव छाले
युगों को दोष ?
नव जागृति चाहे
हर भोर तुमसे।
13
प्यार जो रोया
उनींदा सिरहाना
मुश्किल जीना
दिल तुम्हारे पास
स्पंदन भेजा करो ...।
14
दोस्तों की दुआ
गुल्लकों में खनके
बड़ी पूँजी है
बुरे वक्त में दौड़े
दुनिया जब छोड़े।
 15
मील के पत्थर
मौसमों से न डरे
निडर योद्धा
राह बताते खड़े
यात्रियों से मित्रता।
 16
पुष्प-सुगन्ध
पतझड़ तरसे
बड़ा बेदर्दी
रुखा, सूखा-सा पिया
काँटों में दिल फँसा।
-0-
बसना [ छत्तीसगढ़ ] पिन – 493554  संपर्क - 7049355476

18 टिप्‍पणियां:

  1. विविध विषयों पर लिखें ताँका एक से बढ़ कर एक बहुत बढ़िया ।
    बेटियाँ भोली
    ———-
    एक घर से डोली चली। (9)
    दूजे से अर्थी उठी।
    मर्मस्पर्शी ताँका
    सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई रमेश कुमार सोनी जी

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    उत्तर
    1. धन्यवाद , आपने मेरे ताँका को पसंद किया , सुदर्शन रत्नाकर जी ।

      हटाएं
  2. एक से बढ़कर एक, सभी सुंदर, विशेषतः पुष्प सुगन्ध, दोस्तों की दुआ, कुछ न तय,शहर सारे.... बहुत आनन्द आया,आपको बधाई रमेश कुमार जी!

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    उत्तर
    1. प्रीति अग्रवाल जी ,
      उत्साहवर्धन एवं मेरे ताँका पसंद करने के लिए धन्यवाद ।

      हटाएं
  3. बहुत सुन्दर रचनाएँ । हार्दिक बधाई ।

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  4. सभी ताँका सुंदर विशेषतः - दोस्तों की दुआ,मील के पत्थर, पुष्प-सुगन्ध.....


    बेटियाँ भोली...
    ...एक घर से डोली चली- में - 7 के स्थान पर 9 वर्ण हो गये ।

    हार्दिक शुभकामनाएँ रमेश जी

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  5. बहुत उम्दा ताँका... हार्दिक शुभकामनाएँ रमेश जी।

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  6. विविध भावभूमि पर आधारित सभी ताँका बहुत अच्छे लगे |

    पुष्पा मेहरा

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  7. विविध भावभूमि पर रचे सभी ताँका बहुत सुंदर हैं

    पुष्पा मेहरा

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  8. सभी ताँका सारगर्भित...विशेष रूप से १,१०,१५ के लिए रचनाकार महोदय को हार्दिक बधाई!!

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  9. रमेश जी भिन्न भिन्न भाव दर्शाते सुन्दर तांका हैं हार्दिक बधाई |

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  10. सभी तांका बहुत पसंद आए...हार्दिक बधाई...|

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  11. बहुत सुन्दर ताँका... हार्दिक शुभकामनाएँ रमेश जी !

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