शनिवार, 8 अगस्त 2020

930

 सुदर्शन रत्नाकर

1

बहती तेज़ हवाएँ

बूँदों  से मिलके

मन में आस जगाएँ।

2

लोगों से मत डरना

तेरे बिन साजन

अब जीकर क्या करना।

3

चुप-चुप क्यों रहते हो

मन की बात करो

कितने दुख सहते हो

4

झूम रहा बादल है

मिलने को आतुर

यह दिल तो पागल है।

5

ऊँची दीवारें हैं

तुम बिन सूना घर

बेकार बहारें हैं।

6

फूलों की क्यारी है

बेटी बोझ नहीं

वो सब की प्यारी है।

7

काजल तो काला है

केवल ईश्वर ही

सबका रखवाला है।

8

छाया अँधियारा है

मत घबरा साथी

आगे उजियारा है।

9

आँसू या मोती हैं

चाँद चमकता है

रजनी क्यों रोती है।

1

समय बुरा आया है

अपने ही घर में

अब क़ैद कराया है

-0-

सुदर्शन रत्नाकर

मोबाइल-9811251135

 

 

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर हाइकु !
    हार्दिक बधाई आदरनीया!
    सादर

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  2. सुन्दर माहिया....बधाई आपको ।

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  3. काजल तो काला है .........वास्तविकता पर आधारित माहिया है ,शेष सभी माहिया भी तथ्य परक हैं बधाई सुदर्शन जी


    पुष्पा मेहरा

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  4. सभी माहिया मनमोहक हैं आद.दीदी |

    समय बुरा आया है
    अपने ही घर में
    अब क़ैद कराया है |

    आज के संदर्भ में कितना सही लिखा आपने.. हार्दिक बधाई आपको !

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  5. ज्योत्सना जी,पुष्पा जी,सुरंगमा जी,कैलाश बाजपेयी जी,सुशील कुमार जी प्रतिक्रिया कर प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार
    रश्मिजी,ऋषभ जी,माहिया पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
    माहिया प्रकाशित करने के लिए हार्दिक आभार भैया।

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  6. आ. सुदर्शन दीदी जी... सभी माहिया एक से बढ़कर एक ...मन को छूने वाले! सादर नमन एवं बहुत बधाई आपको!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  7. बहुत सुंदर सभी माहिया..हार्दिक बधाई आपको दी।

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