सोमवार, 6 जून 2022

1042-सर्कस का शेर

                      भीकम सिंह 

   उत्तर प्रदेश के जनपद गौतम बुद्ध नगर की दादरी के स्थानीय विधायक ने भारत सर्कस का उद्घाटन अपने कर कमलों से किया। परसों यह खबर स्थानीय समाचार पत्रों की सुर्खियों में रही और आज समाचार सुनकर स्थानीय लोगों के चेहरों का रंग उड़ गया,  पिंजरे से शेर गायब होने का सवाल खड़ा हो गया । वन- विभाग के कुछ 


कर्मचारी छुपते-छुपाते कोहनी के बल रेंगते रेलवे लाइन की ओर बढ़े,  कभी पटवारी के बाग की ओर पुराने ऊँचे-ऊँचे झुरमुटों की ओट लेकर , कभी कोट के पुल पर मोर्चा लगाए छिपे बैठे रहते, लेकिन शेर पकड़ में नहीं आ रहा था। गाँवों में डर का अंधकार गहराता जा रहा था,  शेर पकड़ने की गतिविधियाँ भी तेज होने लगी थी ।

     वन -विभाग की चौतरफा मोर्चाबंदी देखकर शेर लुहारली के जंगल में देखा गया, ऐसी खबर स्थानीय समाचार पत्रों में छपी।  गाँव के घरों के सब खिड़की दरवाजे बंद,  आधी रात को राजकुमार भाटी ने तंद्रा में सोचा कि उसके कमरे का दरवाजा खुला है और उन्हें बैठा हुआ शेर नजर आया। शेर को देखकर राजकुमार भाटी का पूरा शरीर  पसीने-पसीने हो गया।  शेर क्रोध भरी मुद्रा में कमरे के दरवाजे के बीचो-बीच लंबे कानों को हिला रहा था , दूर कहीं खेत में चल रहे पम्पिंग सैट की धुक- धुक शेर की उफनती साँसों से सह-सम्बन्ध स्थापित कर रही थी । मन ही  मन राजकुमार भाटी ने सारी ऊर्जा समेटकर पिता जी को आवाज़ लगाईऔर आँखें अर्जुन की आँख की तरह सिर्फ और सिर्फ शेर के हिलते कानों पर स्थिर की । अचानक राजकुमार भाटी के मन में एक दूर की कल्पना अँखुवा गई कि यदि धड़ मारे,  मरे रहने का नाटक करें, तो शेर हमला नहीं करता?  सशंकित दिमाग शेर के कानों को गौर से विश्लेषित करने लगा, जो लगातार हिल रहे थे, शेर चौकन्ना हो  गया है ; लेकिन अभी तक दरवाजे के बीचो-बीच बैठा है । फिर राजकुमार भाटी को पिता जी की आवाज़ सुनाई दी-''घबराना मत  ! राइफल लेकर प्रधान जी छत पर आ गए हैं, चुपचाप खाट पर ही पड़े रहना । इसी धमा- चौकडी और हो -हल्ले के बीच राजकुमार भाटी की माँ की आँख खुल गई, जो बिना किसी का नोटिस लिये छत पर  आ गई थी।   झटके से मक्का के बोरे को कोनों (कान)से पकड़कर उठा लिया, जो राजकुमार भाटी को शेर की तरह दीख रहा था । दरअसल बूँदा- बाँदी के डर से राजकुमार भाटी की माँ सूखी मक्का के बोरे को रात में भरकर रख गई थी। कमरे के अंदर इसलिए नहीं रखा था कि आहट से उसके बेटे की नींद टूट जाएगी; लेकिन इस कवायद में पूरा मौहल्ला जाग गया ।

                    करवा देता 

                  अजीब करतूत

                   भय का भूत।

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13 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! वाकई अद्भुत हाईबन लिखा है।

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  2. अद्भुत, बेहतरीन हाइबन।बधाई डॉ. भीकम सिंह जी

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  3. वाह।

    बहुत ही सुंदर हाइबन।
    हार्दिक बधाई आदरणीय भीकम सिंह जी को।

    सादर

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  4. बेहतरीन हाइबन...भीकम सिंह जी को हार्दिक बधाई।

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  5. वाह! बहुत सुन्दर। हार्दिक बधाई आपको।

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  6. बहुत सुंदर हाइबन। हार्दिक बधाई भीकम सिंह जी। सुदर्शन रत्नाकर

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  7. बहुत मज़ेदार हाइबन। सुन्दर लेखन के लिए भीकम सिंह जी को हार्दिक बधाई।

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  8. सचमुच! ये भय का भूत बड़ा ही अजीब होता है!
    रोचक हाइबन के सृजन हेतु आदरणीय भीकम जी को बहुत बधाई!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  9. अति सुंदर - विभय कुमार

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