मंगलवार, 3 दिसंबर 2024

जीवन की संध्या में

 

1-भीकम सिंह


1

प्रेम हुआ है

जीवन की संध्या में

खिली ज्यों भोर

मन लौटना चाहे

फिर उसी की ओर ।

2

नमी लेकर

धूप आगे बढ़ी है

फिर ओस से,

दूब की फुनगियाँ

खड़ी अफसोस से ।

3

नभ के तारे

टिमटिमा रहे हैं

मेरे मन में ,

शुरु कर दिया है

टूटना भी तन ने ।

4

सॅंभाले यदि

जनम के सिरजे

प्रेम के पल ,

तो जिन्दगी की नदी

बहती कल-कल।

5

आती हैं यादें

बहुत - सी पुरानी

वे लड़किहाँ,

तितलियों के जैसी

और वे  छेड़खानी ।

-0-

2-चोका- देर न करो /प्रीति अग्रवाल




चलो चलते
इक ज
हाँ बसाते
ऐसा जिसमें
कोई ऊँचा, न नीचा
राग, न द्वेष
न कलह, न क्लेश
घृणा, न ईर्ष्या
भय, न अहंकार
जहाँ बसते
मधुरिम संवाद
प्रेम में पगे
आचार, व्यवहार
सद्भावना के
उच्चतम संस्कार
मान-सम्मान
सब का अधिकार
देर न करो
मुमकिन ये ज
हाँ
आ जाओ, मेरे साथ!
-0-

15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर चोका, प्रीति अग्रवाल जी को हार्दिक शुभकामनाऍं।

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  2. आदरणीय भीकम सिंह जी आपकी रचनाओं की शिल्प और शैली दोनों अदभुत होती है, हार्दिक बधाई!

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  3. पत्रिका में स्थान देने के लिए संपादक द्वेय का हार्दिक धन्यवाद ।

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  4. बहुत सुंदर सृजन किया है सर।प्रीति जी की रचना भी बहुत सुंदर। रचनाकार द्वय को हार्दिक बधाई।

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  5. भीकम सिंह जी और प्रीति अग्रवाल दोनों को पढना सुखद होता है, दोनों की रचनाएँ आनंद देती हैं. दोनों को बहुत बहुत बधाइयाँ 💐💐

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  6. बहुत सुंदर ताँका और चोका।
    हार्दिक बधाई आदरणीय भीकम सिंह जी और आदरणीया प्रीति जी को 💐
    सादर

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  7. सुंदर ताँका और चोका के लिए बधाई।
    शुभकामनाएँ।

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  8. बहुत सुंदर ताँका और चोका... आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

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  9. मनोबल बढ़ाती आप सभी की सुन्दर टिप्पणियों के लिए हार्दिक आभार !

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  10. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  11. ताँका और चोका से पहली बार परिचय हुआ, अभिनव विधा है यह काव्य की, भाव विचार का अनोखा मेल चंद शब्दों में

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  12. मेरे ताॅंका पसन्द करने के लिए आप सभी का हार्दिक आभार।
    प्रकाशित करने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।

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  13. आ. भीकम सर के ताँका व प्रीति जी का चोका ... सभी बहुत बढ़िया एवं भावपूर्ण!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  14. अरे वाह ! अच्छा तो लगा पर कृपया तांका और चोका के बारे में जानकारी दें।

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