शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

त्योहार बहारों का



डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
1
जब गूँजें टंकारें
सुख,सौहार्द रचें
वीरों की हुंकारें |
2
त्योहार बहारों का
है क्या काम यहाँ
कुटिलों ,गद्दारों का |
3
भर खूब उमंगों में
आज तिरंगे के
डूबा मन रंगों में |
4
भूलें तो भूल चले
जो जाल बुने उनको
करके निर्मूल चले |
5
हाँ ,ख्वाब सुहाने हैं
हक़ पाए अपने
अब फ़र्ज़ निभाने हैं |
6
झूले थे बाहों के
मैं काँटे चुन लूँ
ममता की राहों की |
-0-

8 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी भावनाओं को यहाँ स्थान देने के लिए संपादक द्वय के प्रति हार्दिक आभार ...धन्यवाद !

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  2. e
    jyotsna ji tyohar baharon ka kahta hai ki uttam bhavnaon va vicharon se hi tyohar ki baharon ka sukh uthaya ja sakta hai. sunder abhivykti ke liye apko hardik badhai.
    pushpa mehra.

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  3. देशभक्ति के जज्बों से ओतप्रोत सुंदर माहिया .
    बधाई

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  4. भूलें तो भूल चले
    जो जाल बुने उनको
    करके निर्मूल चले |
    यही जज़्बा ज़रूरी होता है किसी देश की एकता, अखण्डता बनाए रखने के लिए...। सार्थक माहिया के लिए बधाई...।

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