सोमवार, 10 अक्टूबर 2011

चाँद माथा तुम्हारा

1
दिल में छेद
बन बाँसुरी बहे 
दर्द की  नदी
समझेगा भी कौन
जीवन बना मौन ।
2
तुमने बाँचा
आखर हर साँचा
जो न पढ़े
समझेगा वो कैसे
गहराई मन की ।
3
तुमको कहूँ
रब या मनमीत
खिंची हो बन
तुम भाग्य- रेखाएँ
दिल की हथेली पे
4
पथ दुर्गम
साथ रहना तुम
हाथों में हाथ
थामे दिन औ’ रात
जब तक जीवन
5
कुछ न दिया
हमने किसी को भी
दर्द के सिवा
पाना चाहा जो नूर
हो गया वह दूर ।
6
रिश्तों के नाम
होते तो हैं अनेक
उगते सभी
प्रेम उपवन में
भाव भरे मन में
7
नाम क्या दे दूँ
प्रेम होता अनाम
धरा से नभ
इसका है विस्तार
जीवन का है सार

8
हम न होंगे
जब इस जग में
बचा रहेगा
स्पर्श  मधुर तेरा
भोर की हवाओं में ।
9
छूने दो आज
अधरों से जीभर
अमृत झरा
चाँद माथा तुम्हारा
कतकी पूनो खिली

10
घिरते रहे
उदासियों के मेघ
बरसे सदा
छूटे जब अपने
टूटे जब सपने

11
शातिर लोग
मीठा जब बोलते
याद रखो कि
ज़हर वे घोलते
मुस्कान बिखेरते
    *****
-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु '

6 टिप्‍पणियां:

  1. रामेश्वर जी के यह ताँका जीवन की सच्चाई के समीप होते हुए भी हमें किसी और ही दुनिया में ले जाते हैं ..जहाँ सुकून ही सुकून है |
    ताँका पढ़ते हुए जहाँ एक ओर मन जीवन के कड़वे सच को जानकर उलझन में पड़ जाता है कि अब क्या होगा ..तो दूसरी तरफ जब उसी ताँका में उसे जवाब मिलता है तो शांति हो जाता है |
    सुन्दर ताँका के लिए बधाई !
    हरदीप

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  2. भाईसाहब बहुत सुंदर तांका हैं अगर एक को बहुत अच्छा कहूँगी तो दूसरे से न इंसाफी होगी आप तो मन की व्यथा को शब्दों में बहुत सुन्दरता से उतार देते हो आपकी हर एक रचना जब भी पढ़ती मुझे कुछ लिखने के लिए प्रेरित करती है
    सादर,
    अमिता कौंडल

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  3. जीवन के हर पहलू को उजागर करते सभी ताँका लाजवाब हैं...बधाई|
    ऋता

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  4. डा. रमा द्विवेदी


    बहुत उम्दा तांका है...भाव एवं सौन्दर्य पूर्ण ....बहुत -बहुत बधाई ...

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  5. Bhai Sahab,
    Aaj aapke taanka parhe. Jeevan ki sachchai bayaan karte bahut lajawab taanka. Bahut bahut badhaaee.
    Regards.

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  6. सुंदर तांका हैं,बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति ,बधाई

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