रविवार, 18 दिसंबर 2011

भौंरों ने ली हिचकी


रेखा रोहतगी
1
उपवन में
होते हैं फूल काँटे
सोचो मन में   
सुख औ दु:ख होते   
वैसे जीवन में।
2
मुझे बचाया   
गिरने से उसने  
जो था पराया   
आँधियों का शुक्रिया   
अपनो को दिखाया ।
3
दूर हो तुम  
तो मेरे मन से भी   
हो जाओ गुम  
तो मैं चैन से जिऊँ   
चैन से मरूँ ।
4
न हुए फेरे
न थे बाहों के घेरे  
तुम ना आए  
नयन भरे नीर   
है अनब्याही पीर ।
5
तन -पिंजरा   
पंछी क्या गीत गाए  
आज़ाद हो तो  
साथियों से जा मिले   
और चहचहाए ।
 6
सींचा जड़ को 
खिल उठी कलियाँ  
पत्तियाँ हँसी  
भौंरों ने ली हिचकी  
शाख़ -शाख़ लचकी ।
7
पीली चूनर  
ओढ़ इठलाए  
छोरी प्रकृति  
फूलों का है झूमर  
हरी-हरी घाघर ।
8
धूप सेंकती   
सर्दी में  ठिठुरती   
दुपहरियाँ  
आँगन में बैठी हों   
ज्यों कुछ लड़कियाँ।
9
चन्दा मछरी
गगन-सागर में  
तैरती जाए  
सूरज मछेरे को  
देखे तो छुप जाए।
10
पलाश खड़े   
लाल छाता लगाए  
गर्मी में जब   
जलते सूरज ने   
अंगारे बरसाए।

6 टिप्‍पणियां:

  1. सींचा जड़ को
    खिल उठी कलियाँ
    पत्तियाँ हँसी
    भौंरों ने ली हिचकी
    शाख़ -शाख़ लचकी ।
    Bhonron ka hichki lena pryog bahut achchhaa laga...bahut2 badhai

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  2. मुझे बचाया
    गिरने से उसने
    जो था पराया
    आँधियों का शुक्रिया
    अपनो को दिखाया ।
    ek sachchayi...bahut sundar, badhayi...

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  3. चन्दा मछरी
    गगन-सागर में
    तैरती जाए
    सूरज मछेरे को
    देखे तो छुप जाए।

    achcha bimb hai.

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  4. सींचा जड़ को
    खिल उठी कलियाँ
    पत्तियाँ हँसी
    भौंरों ने ली हिचकी
    शाख़ -शाख़ लचकी ।
    is me bhare ne li hichki kya baah hai man moh gaya
    rachana

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  5. daarshanikta-se bhaav...

    तन -पिंजरा
    पंछी क्या गीत गाए
    आज़ाद हो तो
    साथियों से जा मिले
    और चहचहाए ।

    sabhi bahut sundar, badhai.

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  6. सींचा जड़ को
    खिल उठी कलियाँ
    पत्तियाँ हँसी
    भौंरों ने ली हिचकी
    शाख़ -शाख़ लचकी ।
    bahut sunder tanka hain par yeh man ko cho gaya.
    badhai

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