शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

बन्द और खुली किताब-2


4-ज्योतिर्मयी पन्त      
बन्द किताब
बन्द किताब
ज्ञान भरा सागर
दक्ष तैराक
गहन तल जाए
रत्न-मोती  पाए

बन्द किताब
छुपे पन्नों में स्मृति
शुष्क गुलाब
रेखांकित पंक्तियाँ
खुले उमड़ें ज्वार
बन्द किताब
संकोच भरा  मित्र
खुले अगर
पढूँ
 प्रत्येक  पन्ना 
सच्चा साथी  अपना

बन्द किताब
जैसे रूठी प्रेमिका
अन्दर क्या है?
जाने ,पर  बाँचे ना
शब्द मूक भावना

-0-
खुली किताब
खुली किताब
माँ -बाबा उपदेश
नित्य पठन
तब मन भाए ना
अब पछताए ना?
खुली किताब
तेरा -मेरा जीवन
अक्षर प्रेम
समझ ना पाए क्यों ?
अर्थ उलझे सदा

                      
-0- 

5-अमिता कौण्डल
1-बंद किताब
1
बंद किताब
ये  मन है  तुम्हारा
जो खोलो इसे,
तो पाओगे अनेकों
रंग और खुशियाँ
2
बंद किताब
रहे सदा ग़मों की
खुल जो गई
तो दु:खी जग होगा
और हम  मुज़रिम
3
बंद किताब
समेटे रहती है
ज्ञान ही ज्ञान
खुले तो यह बाँटे
खाली न हो फिर भी
4
बंद किताब
ढेरों सवाल लिये
जो खुल जाती
तो पाती जबाब  मैं
तुम्हारी खुशियों का
5
दिल न रखो
ये बंद किताब -सा
खोल दो इसे
पढ़ पाएँ हम भी
ये तड़प  तुम्हारी 
-0-
2-खुली किताब
1
खुली किताब
जीवन यह मेरा
पढ़ न  पाए
चाहकर भी तुम
बंद रखी हैं आँखें.
2
खुली किताब
यह प्रेम -सरिता
न बाँधों इसे
हकों  के बंधन  में
फर्जों की लड़ियों में
3
खुली किताब
जब मेरे जख्मों की
नक्श तेरा था
हरसूँ  पिया  तुझे
हर पल है जिया
-0-

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