गुरुवार, 10 मई 2012

चिड़ियाँ मन्त्र पढ़ें-


1.
ये भोर सुहानी है
चिड़ियाँ मन्त्र पढ़ें
सूरज सैलानी है
2.
आँसू जब बहते हैं
कितना दर्द भरा
सब कुछ वे कहते हैं 
3.
मन-आँगन सूना है
वो परदेस गए
मेरा दुःख दूना है
4.
मिलने का जतन नहीं
बैठे चलने को
नयनों में सपन नहीं
5.
यह दर्द नहीं बँटता
सुख जब याद करें
दिल से न कभी हटता
6.
नदिया यह कहती है
दिल के कोने में
पीड़ा ही रहती है
7.
यह बहुत मलाल रहा 
बहरों से अपना
क्यों था सब हाल कहा 
8.
दिल में तूफ़ान भरे
आँखों में दरिया 
हम इनमें डूब मरे
9.
दीपक -सा जलना था
बाती प्रेम -पगी
कब हमको मिलना था
10.
तूफ़ान -घिरी कलियाँ
दावानल लहका
झुलसी सारी गलियाँ 


----रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' 

10 टिप्‍पणियां:

  1. ये भोर सुहानी है
    चिड़ियाँ मन्त्र पढ़ें
    सूरज सैलानी है
    2.
    आँसू जब बहते हैं
    कितना दर्द भरा
    सब कुछ वे कहते हैं
    3.
    मन-आँगन सूना है
    वो परदेस गए
    मेरा दुःख दूना है....

    Jvab nahi dukh or apnepan ki ganga baha rahi hai...

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  2. आदरणीय काम्बोज जी की सशक्त कलम से निकले इतने अच्छे और गहन भाव लिए हुए माहिया पढ़वाने का आभार...।

    प्रियंका

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर माहिया पढने को मिले .रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' जी के !
    भावों को बहुत खूबसूरती से उकेरा है माहिया में ...सूरज सैलानी हमें भी जगह जगह घुमा लाया ..बहुत ह़ी सुंदर प्रस्तुति !

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  4. यह बहुत मलाल रहा
    बहरों से अपना
    क्यों था सब हल कहा ...
    बहुत बड़ा सच कह दिया अपने इन चंद शब्दों में..जहाँ सब अपनी अपनी ही सुनते हों वहाँ कुछ कहना बेमानी है... अगर ग़लती से कह भी दिया तो बस दिल में मलाल ही रह जाता है... नाहक ही अपना दर्द पराया किया....
    सादर
    मंजु

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  5. यह बहुत मलाल रहा
    बहरों से अपना
    क्यों था सब हल कहा ...
    सभी माहिए एक से बढ़कर एक ...बहुत सरल दिल को छु गए ...पर इस माहिए में हल'की जगह `हाल' कहा होना चाहिए शायद टाइपिंग की गलती है....
    सुन्दर भावपूर्ण लेखन के लिए हिमांशु जी को बधाई ...

    डा. रमा द्विवेदी

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  6. सभी माहिया एक से बढ़कर एक! आपकी सश्क्‍त लेखनी ने बहुत ही सुंदर बिंबो और मनोभावों को उकेरा है। निम्न तीन माहिया का तो जवाब नहीं -

    "ये भोर सुहानी है
    चिड़ियाँ मन्त्र पढ़ें
    सूरज सैलानी है
    2.
    आँसू जब बहते हैं
    कितना दर्द भरा
    सब कुछ वे कहते हैं
    3.
    यह बहुत मलाल रहा
    बहरों से अपना
    क्यों था सब हल कहा ...

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  7. सभी माहिया एक से बढ़कर एक! रामेश्‍वर कंबोज जी की सशक्‍त लेखनी ने अत्यंत सुंदर बिंब उकेरे हैं और भावों की गहराई को बहुत खूबसूरती से अभिव्यक्‍त किया है! निम्न तीन माहिया तो लाजवाब हैं -

    1.
    ये भोर सुहानी है
    चिड़ियाँ मन्त्र पढ़ें
    सूरज सैलानी है

    2.
    आँसू जब बहते हैं
    कितना दर्द भरा
    सब कुछ वे कहते हैं

    ३.
    यह बहुत मलाल रहा
    बहरों से अपना
    क्यों था सब हाल कहा

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर रचनायें हैं
    सादर .
    शुभकामनायें.

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  9. लेखन की इस विधा से काम्बोज भाई ने ही परिचय कराया है. सभी माहिया बहुत सुन्दर और अनुपम. बहुत खूबसूरत बिम्ब...

    ये भोर सुहानी है
    चिड़ियाँ मन्त्र पढ़ें
    सूरज सैलानी है

    शुभकामनाये.

    जवाब देंहटाएं