मंगलवार, 3 जुलाई 2012

बच्चे–सा हठी



सुभाष नीरव
1
रास्ते थे मेरे
कठिन तो बहुत
पर चला मैं
अपनी ही धुन में
मंज़िलों की तरफ़।
2
बेशक मिलीं
ठोकरें अनगिन
हार न मानी
बढ़ता रहा आगे
तभी पाईं मंज़िलें।
3
हँसें ज्यों फूल
काँटों में रहकर
दु:ख-सुख में
हम भी हँसे वैसे
महका लें जीवन।
4
पत्ता -पत्ता भी
झूम उठा पेड़ का
डालियों पर
फुदक कर जब
पंछी चहचहाए।
 5

कौन टिकेगा ?
ले झूठ का सहारा
उसके आगे
जो उठाए खड़ा है
सत्य का परचम।
6
बच्चेसा हठी
छोड़ता न अँगुली
ये दु:ख कभी
संग-संग चलता
जीवन-सफ़र में।
-0-

11 टिप्‍पणियां:

  1. सभी ताँका सुन्दर भावपूर्ण।
    कृष्णा वर्मा

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  2. बच्चे–सा हठी
    छोड़ता न अँगुली
    ये दु:ख कभी
    संग-संग चलता
    जीवन-सफ़र में।

    बहुत खूबसूरती से बताया जीवन का फलसफा

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  3. कौन टिकेगा ?
    ले झूठ का सहारा
    उसके आगे
    जो उठाए खड़ा है
    सत्य का परचम।
    बहुत सुन्दर ताँका नीरव जी को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी ताँका सकारात्मक, सार्थक और सुंदर हैं। बधाई सुभाष नीरव जी!

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  5. बहुत खूब...सभी तांका बड़ी खूबसूरती से रचे हैं...। जीवन के कई फलसफ़े बता दिए आपने नीरव जी...मेरी बधाई...।
    प्रियंका

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  6. कौन टिकेगा ?
    ले झूठ का सहारा
    उसके आगे
    जो उठाए खड़ा है
    सत्य का परचम।
    sahi kaha aapne aesa hi hota hai aapke sunder bhavon ko naman
    saader
    rachana

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  7. ज्योत्स्ना शर्मा6 जुलाई 2012 को 3:47 pm बजे

    जीवन-दर्शन को अभिव्यक्त करते ...बहुत सुन्दर ताँका ...सादर नमन आपको

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  8. रास्ते थे मेरे
    कठिन तो बहुत
    पर चला मैं
    अपनी ही धुन में
    मंज़िलों की तरफ़

    रास्ते चाहे जितने भी कठिन हों अगर हम अनवरत चलते रहें तो मंजिल तक पहुँच ही जाते हैं... बहुत ही सुंदर सकारात्मक सन्देश देते हुये सभी तांका

    सादर
    मंजु

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  9. कृष्णा जी, संगीता जी, निर्मला जी, सुशीला जी, प्रियंका जी, भावना जी और ज्योत्सना जी… आप सबका इस हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद…

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  10. सभी ताँका में गहरे अर्थ समाये है...

    बेशक मिलीं
    ठोकरें अनगिन
    हार न मानी
    बढ़ता रहा आगे
    तभी पाईं मंज़िलें।

    सुभाष जी को बधाई.

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