मंगलवार, 17 जुलाई 2012

सेदोका


1-डॉ महावीर सिंह
अभी तक उपलब्ध  जानकारी के अनुसार डॉ महावीर सिंह जी के 11 सेदोका ‘मन की पीड़ा’ संग्रह में 2001 में  तथा सात सेदोका ‘प्यार के बोल’ (2002)तथा में प्रकाशित हुए  थे।  ‘मन की पीड़ा’  से इनके  5 सेदोका यहाँ दिए जा रहे हैं।
सम्पादक द्वय
1
सावन आया
गरजे काले घन
बहका गोरी -मन
कौंधी बिजली
भय से काँपा मन
लिपटी पिया संग ।
2
याद तुम्हारी
छा जाती मन पर
तनहाई में जब
मुझको पाती
सावन -घाटा सम
आँखें बरस जातीं  ।
3
कोयल कूकी
तन-मन बहका
उपवन दहका
कलियाँ फूलीं
अलि सन्देश लाया
सखि! फ़ागुन आया ।
4
गाँठें ही गाँठें
जीवन की डोर में
खुलती नहीं गाँठें
जकड़े पड़ीं
रस नहीं गाँठों में
नीरस है ज़िन्दगी ।
5
बाँधोगे यदि
हवा-पानी -ज़मीन
हवा बने अंधड़
पानी सैलाब
ज़मीन जो बाँधोगे
उठा देगी तूफ़ान ।
-0-
2-डॉ उर्मिला अग्रवाल
1
जलेंगे दीप
खो जाएगा अँधेरा
करो बस इतना-
भरके नेह
जला लो प्रेम-ज्योति
अपनी ज़िन्दगी में
2
भटके हम
कितने द्वारों पर
अपनापन पाने,
मिला न सका
कोई अपने जैसा
न ही  अपनापन ।
3
पनप  रहे
नन्हें- नन्हें -से पौधे
सींचे जा रहा माली
लिये ये आशा-
कि कभी पेड़ बन
ये हमें देंगे छाया ।
-0-

8 टिप्‍पणियां:

  1. भटके हम
    कितने द्वारों पर
    अपनापन पाने,
    मिला न सका
    कोई अपने जैसा
    न ही अपनापन ।.....सभी सदोका अच्छे है.....बधाई

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  2. कोयल कूकी
    तन-मन बहका
    उपवन दहका
    कलियाँ फूलीं
    अलि सन्देश लाया
    सखि! फ़ागुन आया ।

    Bahut achchha prakriti varnan kiya hai bahut2 badhai..

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  3. ज्योत्स्ना शर्मा18 जुलाई 2012 को 12:24 pm बजे

    सभी सेदोका सुंदर ...
    बाँधोगे यदि....में पर्यावरण के प्रति सजगता ...तथा...जलेंगें दीप ..में आशा से परिपूर्ण भाव परिलक्षित होते हैं ....बधाई

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  4. "कोयल कूकी
    तन-मन बहका
    उपवन दहका
    कलियाँ फूलीं
    अलि सन्देश लाया
    सखि! फ़ागुन आया ।"

    अत्यंत मनभावन प्रकृति वर्णन! सभी सेदोका बहुत ही सूंदर भाव लिए हैं, शब्द-चयन भी बहुत सुंदर ! बधाई !

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  5. सभी सेदोका बहुत खूबसूरत हैं...मेरी बधाई...।
    प्रियंका

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  6. सभी सेदोका बहुत सुन्दर
    कृष्णा वर्मा

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