रविवार, 22 जुलाई 2012

बजा जलतरंग


1- डॉ अनीता कपूर
1
फिर ख़्वाहिशें
ओढ़ ली सारी मैंने
रंगीली चादर-सी
तलाश रही
वह इंद्रधनुष
जिसने भेजे रंग
बाँघुँघरू
छम -छम करती
वर्षा अल्हड़ नार
कर फुहार
गाती रही नग़में
बजा  जलतरंग
आओ बना लें
वो पाँचवाँ मौसम
प्यार -भरा मौसम
बरसे जहाँ
सिर्फ प्यार की वर्षा
गंगा-की  धारा जैसे ।
अलबेली-सी
जीवन की  चिरैया
किस डाल को काटें ?
नोचें किस को
तितली बनी कभी 
चिरैया जीवन की ।
5
जिंदा रखना
अगर रिश्तों को तो
देदो उन्हे भी साँस
न हो गणित
कोई लेन-देन का
शून्य की दरकार ।
6
ठहरे पल
हमेशा ढोते सच
दौड़ता हुआ वक्त
कभी भागता
खिड़की से बाहर
कभी आता अंदर
-0-
2-कमला निखुर्पा
1
सोंधी-सी हवा
गुनगुनाके कहे-
भिगो गया मुझको
पागल मेघ
ढूँढ़ रही मैं उसे
संग मेरे ढूँढ़ो रे !
2
मेघों के दल
उमड़े गगन में
बज रहे नगाड़े
मस्त पवन
पपीहरा पुकारे
पी सावन आयो रे !
3
पूनो का चाँद
चमका गगन में
उमड़ा समन्दर ,
भावों का ज्वार
फिर बहा ले चला
सपनों का संसार ।
4
बहाती रही
वक़्त की धारा हमें
बहते चले चला
कहते रहे
किनारों से अपने
क्यों संगम नहीं तुम ।
5
उपमेय थी
उपमानों से घिरी
बन गई अन्योक्ति
जाना है अब
तुम रहोगे श्लेष
ढके रूप अनेक ।
-0-
3-कृष्णा वर्मा
1
नारी केवल
माटी हवा औ पानी
सदा से ही निमानी
ओर ना छोर
पीहर ना सासरा
कब मिला आसरा।
2
अनूठी कृति
प्रकृति भेंट नारी
तापे जीवन आँच
बन सुराही
बुझाती रहे प्यास
रिसे औ दे ठंडक।
3
माँ जो पालती
सुनहरी धूप में
खिलती सूर्यमुखी
पली छाँव में
बन के रह गई
घर का मनीप्लांट।
4
रात की चुप्पी
दिल की नगरी पे
यादें करें शासन
हरें नींद को
सुलगा के अतीत
जागने की सज़ा दें।
5
सुलग उठी
यादों की सीली काठ
तापती एहसास
घुँआ जलाए
पलकों के सपने
धोती खारे पानी से।
6
घन गरजे
पट श्यामल ओढ़
दिवस साँझ भई
प्रीत जिया में
जागी फुहार संग
भीगे नैना याद में।
-0-

10 टिप्‍पणियां:

  1. सभी सेदोका गहन भाव लिए हुये .... सभी रचनाकारों को बधाई

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  2. सुंदर उपमानों से सजे, भिन्न-भिन्न रंग समेटे सुंदर सेदोका। तीनों कवयित्रियों को बहुत बधाई !

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  3. अनूठी कृति
    प्रकृति भेंट नारी
    तापे जीवन आँच
    बन सुराही
    बुझाती रहे प्यास
    रिसे औ दे ठंडक।.. waah.. behad sundar..

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  4. जीवन के यथार्थ को सजोई उत्कृष्ट सभी रचना .
    बधाई

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  5. ज्योत्स्ना शर्मा22 जुलाई 2012 को 9:22 pm बजे

    बहुत प्रभावी प्रस्तुति ...
    बाँध घुँघरू
    छम -छम करती
    वर्षा अल्हड़ नार
    कर फुहार
    गाती रही नग़में
    बजा जलतरंग ।...

    उपमेय थी
    उपमानों से घिरी
    बन गई अन्योक्ति
    जाना है अब
    तुम रहोगे श्लेष
    ढके रूप अनेक ।...तथा

    घन गरजे
    पट श्यामल ओढ़
    दिवस साँझ भई
    प्रीत जिया में
    जागी फुहार संग
    भीगे नैना याद में।...विशेष मोहक लगे ....बहुत बधाई

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  6. सभी सेदोका बहुत भावपूर्ण. अनीता जी, कमला जी और कृष्णा जी को बधाई.

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  7. सभी सेदोका बहुत अच्छे हैं, मेरी बधाई...।

    प्रियंका

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  8. Sabhi ke sedoka eakse badhkar eak hain meri sabhi ko hardik badhai...

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