बुधवार, 25 जुलाई 2012

फूलों -सी बातें(माहिया)


डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
दरिया में पानी ना
क्यूँ अब रिश्तों में   
वो बात पुरानी ना ।
2
खुशियों का रंग हरा
तुम जो बरस ग
तन धरती का निखरा।
3
खुशियों का रंग भरा   
तेरा साथ मिला  
मन गीतों का निखरा ।
4
होनी तो होती है
कल की क्या चिंता
"रब है" क्यूँ रोती है ।
5
वो ऐसा गाती थी
 फूलों -सी बातें
 खुशबू- सी आती थी ।
6
कल तीज पडे़ झूले  
सजना 'वो' सजना
हम अब तक ना भूले
-0-

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण माहिया। पहला, ५ वाँ और छ्ठा तो कमाल के हैं। बधाई !

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  2. दरिया में पानी ना
    क्यूँ अब रिश्तों में
    वो बात पुरानी ना ।
    बहुत सुन्दर
    कृष्णा वर्मा

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  3. दरिया में पानी ना
    क्यूँ अब रिश्तों में
    वो बात पुरानी ना ।
    rishton ko aapne bakhubi samjha hai...

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  4. सभी माहिया एक से बढ़कर एक त्योहारों के दर्शन के साथ सुन्दर भावों के दर्शन भी हुए गेयता, मात्रिक बाध्यता सभी उत्कृष्ट हैं हार्दिक बधाई आपको

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  5. वो लिखती है
    छोटा सा कुछ
    बहुत बड़ी चीज
    समझाती है !!

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  6. ज्योत्स्ना शर्मा26 जुलाई 2012 को 3:02 pm बजे

    आदरणीय सुशील जी ,Rajesh Kumari ji ,Dr. Bhawna ji,Sushila ji evam कृष्णा वर्मा जी ...बहुत बहुत आभारी हूँ आपने इतने सुंदर प्रेरक शब्दों के साथ मेरा उत्साह वर्धन किया । स्नेह भाव बनाये रखियेगा ...सादर ..ज्योत्स्ना

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  7. होनी तो होती है
    कल की क्या चिंता
    "रब है" क्यूँ रोती है ।......
    adbhut bahut sundar bhawpurn

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  8. दरिया में पानी ना
    क्यूँ अब रिश्तों में
    वो बात पुरानी ना ।
    वाह सभी हाइकु बहुत अच्छे।

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  9. ज्योत्स्ना शर्मा28 जुलाई 2012 को 9:33 pm बजे

    आदरणीय Suresh Choudhary जी एवम निर्मला कपिला जी ..बहुत बहुत आभारी हूँ आपकी ...सादर ज्योत्स्ना

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  10. बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण माहिया...बधाई...|

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  11. वो ऐसा गाती थी/ फूलों -सी बातें/ खुशबू- सी आती थी ।........खुशुबदार महिया.....बधाई

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