शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

यमुना तट रोए


सेदोका  -कृष्णा वर्मा
1
प्रदूषण ने
कर डाला गंगा को
हाय कितना मैला !
अब न चाहेंगे 
प्रवाहित करना 
किसी अस्थि  के फूल।
2
खड़ा उदास 
देख कालिंदी- पीर
यमुना तट रोए ,
अब ना भाए
तीर श्याम को ,हुआ
म्लान पावन जल।
3
हरित धरा
निखरा -सा अम्बर
सूर्य चाँद औ तारे,
लील रहा है
दूषण अजगर
डरे खड़े बेचारे।
4
मत कराओ
वसुधा-किशोरी को
नाहक विष -पान
इससे जन्मा
फल -अनाज भक्ष
हरोगे निज प्राण।
5
काट दिए क्यों
हमदर्दों के धड़
दें जो जीवन दान
मूढ़मति ने
नव सृजन हेतु
संकट डाले प्राण
-0-


6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छे व अर्थपूर्ण सेदोका !
    बधाई !
    ~सादर !

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  2. "काट दिए क्यों
    हमदर्दों के धड़
    दें जो जीवन दान
    मूढ़मति ने
    नव सृजन हेतु
    संकट डाले प्राण ।"

    सुंदर सेदोका।

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  3. काव्य अर्थ से परिपूर्ण सभी सेदोका मन भाए
    कृष्णा वर्मा जी को बधाई!!

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  4. ज्योत्स्ना शर्मा12 नवंबर 2012 को 2:01 am बजे

    सभी सेदोका बहुत प्रभावी ...
    मत कराओ
    वसुधा-किशोरी को
    नाहक विष -पान
    इससे जन्मा
    फल -अनाज भक्ष
    हरोगे निज प्राण।...बहुत सुन्दर लगा ...बधाई कृष्णा जी ..!!

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  5. बहुत अच्छे सेदोका...बधाई...।
    प्रियंका

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