शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

जो तुम दोगे


डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
उड़ो परिंदे !
पा लो ऊँचे शिखर
छू लो चाँद -सितारे,
अर्ज़ हमारी-
इतना याद रहे
बस मर्याद रहे !
2
जो तुम दोगे
वही मैं लौटाऊँगी
रो दूँगी या गाऊँगी ,
तुम्हीं कहो न
बिन रस ,गागर
कैसे छलकाऊँगी ?
3
सज़ा दी मुझे
मेरा क्या था गुनाह 
फिर मुझसे कहा
अरी कविता
गीत आशा के ही गा
तू भरना न आह !
-0-

5 टिप्‍पणियां:

  1. सज़ा दी मुझे
    मेरा क्या था गुनाह
    फिर मुझसे कहा
    अरी कविता
    गीत आशा के ही गा
    तू भरना न आह !

    bahut sunder ...!!

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  2. सज़ा दी मुझे
    मेरा क्या था गुनाह
    फिर मुझसे कहा
    अरी कविता
    aगीत आशा के ही गा
    तू भरना न आह !
    बहुत सुन्दर सेदोका। ज्योत्स्ना जी बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. ज्योत्स्ना शर्मा18 जनवरी 2013 को 5:06 pm बजे

    आपकी प्रेरणास्पद उपस्थिति के लिए ह्रदय से आभार ...हरकीरत जी एवं Krishna Verma ji

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  4. सुन्दर सेदोका के लिए बहुत बधाई...|
    प्रियंका

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    1. ज्योत्स्ना शर्मा18 फ़रवरी 2013 को 9:40 pm बजे

      बहुत आभार प्रियंका जी !
      सादर
      ज्योत्स्ना

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