मंगलवार, 29 जनवरी 2013

हँसकर हर दौर जिया


हरकीरत 'हीर'
1
ये आया कौन ? खुदा  !
 साँसें  महक उठीं,
ग़म से कर दे न जुदा 
2
हमने हर घूँट पिया
विषमय जीवन का
हँसकर हर दौर जिया .
3
सच तू , तू ही सपना
कैसी प्रीत  मिली
गैरों में तू अपना ।
4
उधड़ी मैं ज्यों कतरन
तनिक पता  न चला
बिखरी मैं बन उतरन ।।।
5
साँसों से बरसी हैं
आहें यादों की
प्यार बनी ,तरसी हैं ।
-0-

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर लगे सारे माहिया...हार्दिक बधाई...|
    प्रियंका

    जवाब देंहटाएं
  2. ये आया कौन ? खुदा !
    साँसें महक उठीं,
    ग़म से कर दे न जुदा
    bahut sunder bhav
    badhai
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  3. स्त्री की मनोदशा...

    उधड़ी मैं ज्यों कतरन
    तनिक पता न चला
    बिखरी मैं बन उतरन ।।।

    बहुत सुन्दर और भावपूर्ण, बधाई.

    जवाब देंहटाएं