- कृष्णा वर्मा
संघटित-सा
पर्वत शिखर पे
धवल हिम
सूर्य के संस्पर्श से
पिघल उठा
जल धार बन के
उतर आया
अचल के पैरों में
छुई-मुई-सा
चट्टानों से लिपटा
सोई घाटियाँ
निखरने लगी यूँ
स्पर्श पाते ही
खिल उठे उसकी
छाती पे फूल
ठुमकने से लगे
शाख़ों पे पत्ते
नि:सर्ग के रँगों में
बही चेतना
धरती के होंठों पे
खिले हँसी के रंग।
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वाह .. बहुत सुन्दर .. पुरा चित्र आँखो के सामने तैर गया ः) बधायी
जवाब देंहटाएंbahut sundar waah , krishna ji hardik badhai
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ....बहुत बधाई आपको !!
जवाब देंहटाएंसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ....बहुत बधाई आपको !!
जवाब देंहटाएंसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...बहुत बधाई आपको !!
जवाब देंहटाएंसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
सुन्दर...बधाई...|
जवाब देंहटाएंप्रियंका
Prakrti ka varnan badi bakhubi se nibhaya hai aapne hardik badhai...
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