मंगलवार, 7 मई 2013

हरसिंगार/ उड़ान


सुनीता अग्रवाल
हरसिंगार
1
नि:शब्द निशा
चटकता यौवन
महकी हवा
अभिसारिका धरा
स्तब्ध निहारे  उषा ।
उड़ान
2
सजे नभ पे
तेरे नैनो के मोती
चन्द्रहार -से
चुग लाता मैं यदि
छू पाता वो आकाश ।
3
ऊँची उड़ान
नशा कामयाबी का
अरे नादान
बेबस ऑंखें तकें
घर जा परिंदे
-0-

20 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर भावपूर्ण पंक्तियाँ ...आप भी पधारो ..http://pankajkrsah.blospot.com

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  2. ऊँची उड़ान
    नशा कामयाबी का
    अरे नादान
    बेबस ऑंखें तकें
    घर आ जा परिंदे ।
    बहुत गहन भाव...बधाई...|

    प्रियंका

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  3. सुंदर तांका में भावों की अद्भुत साहित्यिक उड़ान .

    बधाई

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  4. आदरणीय हिमाँशु सर जी एवम आदरणीया हरदीप मॅम मेरी रचनायो को यहाँ स्थान देने के लिये हार्दिक आभार

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  5. @ ज्योति-कलश जी उत्साह वर्धन के लिये हार्दिक आभार

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  6. तीनों ताँका बहुत सुन्दर...बधाई।

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  7. @shashi purwar ji --- utsaah badhane ke liye haardik abhaar .. apki amuly pratikriya mere liye anmol hai ..maafi chahungi me aj ku6 dino ke antral pe online huyi hu aap ki ye pratikriya abhi dekhi isliye jawab dene me deri huyi .. mere liya ye apar prasannata ki baat hai ki ise charcha manch me shamil kiya gaya hai .. par ab me us link par kaise jau kripya raah bataye

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