डॉ अनीता कपूर
1.
उगायें, फिर
रौशनी की फ़सल
चीर अँधेरा
बुनकर चटाई
ढकें खुली खिड़की।
2
हाँ, बेहयाई !
बिकने लगी आज
दुकानों पर
हया- शर्म से खुद
शर्मसार हुई है ।
3
यादों के गीत
जीवन -संगीत
से
करो अलग
जिंदगी रेत नहीं
यादें सोख न
पाए ।
4
जीवन -शक्ति
फिर हुई सजीव
मौन मुखर
बन गुलमोहर
पहन गुलमोहर ।
5
खड़ा अकेला
दृढ़ है जिजीविषा
जितना तपे
उतना ही निखरे
गुलमोहर तरु ।
-0-
bahut saargarbhit taankaa ....
जवाब देंहटाएंखड़ा अकेला
दृढ़ है जिजीविषा
जितना तपे
उतना ही निखरे
गुलमोहर तरु ।..bahut sundar ..aisaa hii hai jeevan bhii ..badhaaii aapko !!
बहुत सुन्दर ताँका ! सजीव चित्रण !
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
wah bahut hi sundar tankaa ...
जवाब देंहटाएंजीवन -शक्ति
फिर हुई सजीव
मौन मुखर
बन गुलमोहर
पहन गुलमोहर ।
5
खड़ा अकेला
दृढ़ है जिजीविषा
जितना तपे
उतना ही निखरे
गुलमोहर तरु
badhaayi .. sadar naman
बहुत सुन्दर...बधाई...|
जवाब देंहटाएंप्रियंका
खड़ा अकेला
जवाब देंहटाएंदृढ़ है जिजीविषा
जितना तपे
उतना ही निखरे
गुलमोहर तरु ।
बहुत सुन्दर।