बुधवार, 4 सितंबर 2013

दीया एक जला

डॉ सतीशराज पुष्करणा
1
तूफ़ानों से क्या भागे
जो लेटा हरदम
शीत लहर के आगे ।
2
कैसे भी घेरें तम
दीया एक जला
टल जाएगा हर गम ।
3
जो गाल बजाते हैं
जीवन में भी वो
कुछ कर ना पाते हैं ।
4
कोशिश हमने की थी
चोटी को छू लें
राह भले टेढ़ी थी ।
5
कैसे भूलूँ उसको
भीगी आँखों से
देखा जिसने मुझको

-0-

4 टिप्‍पणियां:

  1. कैसे भी घेरें तम
    दीया एक जला
    टल जाएगा हर गम ।....सुन्दर भावों का उजाला फैलाते मधुर माहिया ....हार्दिक बधाई ...नमन !

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  2. वैसे तो सभी माहिया बहुत प्रभावी हैं, पर ये दोनों खास तौर से भाए...
    कैसे भी घेरें तम
    दीया एक जला
    टल जाएगा हर गम ।

    कोशिश हमने की थी
    चोटी को छू लें
    राह भले टेढ़ी थी ।
    हार्दिक बधाई...|

    प्रियंका

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