गुरुवार, 10 अक्टूबर 2013

सूरज रूठा है

 सुदर्शन रत्नाकर
1
नभ में बदली छाई
सूरज रूठा है
ये धरती मुस्काई
2
नके कंगना है
बिन बेटी लगता
सूना ये अँगना है
-0-



3 टिप्‍पणियां:

  1. दोनों माहिया बहुत सुन्दर.....बधाई !

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  2. खनके कंगना है
    बिन बेटी लगता
    सूना ये अँगना है ।
    बहुत प्यारा माहिया...फिर भी बेटी बोझ क्यों हो जाती है...?

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  3. दोनों माहिया बहुत सुन्दर ,मधुर हैं .....बहुत बधाई !

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