सोमवार, 27 जनवरी 2014

सम्बन्धों का तर्पण

1-डॉ सुधा गुप्ता
1
छली मुखौटे
तत्पर अभिनय
निज-हित- साधन
विवश किया
नाटक-समापन
सम्बन्धों का तर्पण ।
2
बोझ थे अन्धे
प्राणतत्त्व गायब
वैतालसे चिपके
ढोते थकी तो
जलांजलि दे , किया
सम्बन्धों का तर्पण !
-0-
2-भावना सक्सैना
1
घाव खरोंचे
रिश्तों के नाखूनों से
क्षत- विक्षत मन।
तोड़ें जंजीरें
बंधन न निभाएँ
सुख की साँसें पाएँ।
2
 रिश्ते सभी तो
उम्र के होते छोटे
चार दिन मुस्काते
हँसते -गाते
औपचारिकता में
घट रीत ही  जाते ।

-0-

4 टिप्‍पणियां:

  1. 'सम्बन्धों का तर्पण ' , 'वैताल से रिश्ते 'और 'रीते घट' ...बहुत मार्मिक सेदोका हैं , ऐसी सच्चाई जिसे हम खुद स्वीकारने के लिए तैयार नहीं होते |
    हृदय से बधाई आ दीदी एवं भावना जी ...सादर नमन वंदन !

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  2. आह .... दिल की तहों को खुरचते हुए, छील गए...
    सभी सेदोका बहुत गहन, भावपूर्ण !
    हार्दिक बधाई सुधा दीदी जी एवं भावना सक्सैना जी

    ~सादर
    अनिता ललित

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  3. बहुत सुन्दर बिम्ब और भाव ...

    बोझ थे अन्धे
    प्राणतत्त्व गायब
    ‘वैताल’ से चिपके
    ढोते थकी तो
    जलांजलि दे , किया
    सम्बन्धों का तर्पण !

    घाव खरोंचे
    रिश्तों के नाखूनों से
    क्षत- विक्षत मन।
    तोड़ें जंजीरें
    बंधन न निभाएँ
    सुख की साँसें पाएँ।

    उत्कृष्ट सेदोका के लिए सुधा जी और भावना जी को बहुत बधाई.

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  4. छली मुखौटे
    तत्पर अभिनय
    निज-हित- साधन
    विवश किया
    नाटक-समापन
    सम्बन्धों का तर्पण ।

    घाव खरोंचे
    रिश्तों के नाखूनों से
    क्षत- विक्षत मन।
    तोड़ें जंजीरें
    बंधन न निभाएँ
    सुख की साँसें पाएँ।

    बहुत सुन्दर...हार्दिक बधाई...|

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