गुरुवार, 30 जनवरी 2014

गर तू आ जाता

डॉ जेन्नी शबनम
1.
पानी बहता जैसे
बिन जाने समझे
जीवन गुजरा वैसे !
2.
फूलों-सी खिल जाती
गर तू आ जाता
तुझमें मैं मिल जाती !
3.
अजब यह कहानी है
बैरी दुनिया से
पहचान पुरानी है ।
4.
सुख का सूरज चमका
आशाएँ जागी
मन का दर्पण दमका ।
-0-

डॉ सरस्वती माथुर
मन मेरा दीवाना
फुरसत मिलते ही
आकर तुम मिल जाना l
2
सपने तेरे आ
मेरे  नैनों में
केवल ही तुम छा l
3
 गरजे बरसे बादल
 नैनों में डाला    
 है प्रीत भरा काजल l













6 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर माहिया !
    जेन्नी जी , सरस्वती जी आप दोनों को बधाई !!!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  2. जेन्नी जी, सरस्वती जी आप दोनों के माहिया बहुत मन भाए....बधाई

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  3. अजब यह कहानी है
    बैरी दुनिया से
    पहचान पुरानी है ।




    गरजे बरसे बादल
    नैनों में डाला
    है प्रीत भरा काजल

    sunder mahiya aapdono ko badhai
    rachana

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  4. जेन्नी जी, सरस्वती जी, माहिया अच्छे लगे |
    सस्नेह,

    शशि पाधा

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  5. बहुत प्यारे माहिया...|
    जेन्नी जी और सरस्वती जी...आप दोनों को हार्दिक बधाई...|

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  6. सुन्दर , मधुर माहिया ...

    जेन्नी जी , सरस्वती जी हार्दिक बधाई !!

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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