पुष्पा मेहरा
1
मगन सब मन
बिसर गये बैर,
मिले हैं
गले
मन-झाँझर
बजे
रंग ही रंग
उड़े ।
2
आई है होली
ख़ुशियों की बौछार
भर लाई है छोरी,
फूली बगीची
हर घर रँगोली
मन है पिचकारी ।
3
फाग के स्वर
मृदंग की थाप पा
होंठों पे
ठुमकते,
थिरकें पग
हवा भी रंग गई
रंगों की फुहार से ।
4
होली - धमाल
पिचकारी यादों की
भर लाई है रंग,
बीते हैं वर्ष
उदास दिन -रैन
पास नहीं
हैं कंत !
5
कान्हा की बंशी
स्वर-रंगों में डूबी
होंठों को छू के
हँसी,
ब्रज में बजी
गोपी-मन मोहके
राधा को भिगो गई
।
6
फागुनी हवा
शीत से उलझती
भागती चली आई,
थामे न थमी
हठीली मीठी-मीठी
सिहरन जगाती
।
-0-
sundar
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जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन संदीप उन्नीकृष्णन अमर रहे - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
होली के त्योहार में भीगे, रंगे सुन्दर सेदोका !
जवाब देंहटाएंपुष्पा जी आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ ! :)
~सादर
अनिता ललित
बहुत सुन्दर सेदोका....पुष्पा मेहरा जी होली की बहुत शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंphaguni raag rang liye bahut khoobsurat rachnaye.........aapko holi ki bahut saari shubh kaamnaye
जवाब देंहटाएंap sabhi bahano k i utsah vardhak pratikriyaen padh kar man me indradhanushi rang bichh gaye. ap sabhi ko dhanyavad. holi ki
जवाब देंहटाएंanek subhkamanayen.
pushpa mehra.
खुशियों के रंगों की बौछार लिए छोरी बहुत प्यारी लगी ...हार्दिक बधाई ...शुभ कामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंआई है होली
जवाब देंहटाएंख़ुशियों की बौछार
भर लाई है छोरी,
फूली बगीची
हर घर रँगोली
मन है पिचकारी ।
बहुत सुन्दर...बधाई...|