मंजु गुप्ता
1
जिस वक्त भी
तेरी इबादत में
हाथ उठाए
तेरे नूर से रुह
मेरी एक हो गई ।
2
लौटा सुहाग
खुशी की लाली छाई
जल गई थी
प्रेम बाती जीने की
महका हर पल।
3
वक्त के काँटें
तानों के जख्म बन
जब भी दिए
हर हाल पीर को
मैंने गाथा में रचा।
-0-
sabhi tanka jeevan men jie palon ko yatharth kar rahe hain. manju
जवाब देंहटाएंji apako badhai.
pushpa mehra.
सुख-दुःख के भावों से रंगे सभी ताँका ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनाएँ मंजू गुप्ता जी !
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ !!!
~सादर
अनिता ललित
पुष्पा जी हौंसला बढ़ाने के लिए धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंसभी तांका बहुत सुन्दर हैं पर ये वाला बहुत भाया...
जवाब देंहटाएंवक्त के काँटें
तानों के जख्म बन
जब भी दिए
हर हाल पीर को
मैंने गाथा में रचा।
हार्दिक बधाई...|