गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

तेरी इबादत में

मंजु गुप्ता
1
जिस वक्त भी
तेरी इबादत में
हाथ उठाए
तेरे नूर से रुह
मेरी एक हो गई
2
लौटा सुहाग
खुशी की लाली छाई
जल गई थी
प्रेम बाती  जीने की
महका हर पल
3
वक्त के काँटें
तानों के जख्म बन
जब भी  दिए
हर हाल पीर को
मैंने गाथा में रचा

-0-

4 टिप्‍पणियां:

  1. sabhi tanka jeevan men jie palon ko yatharth kar rahe hain. manju
    ji apako badhai.
    pushpa mehra.

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  2. सुख-दुःख के भावों से रंगे सभी ताँका ...
    सुन्दर रचनाएँ मंजू गुप्ता जी !
    हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ !!!
    ~सादर
    अनिता ललित

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  3. पुष्पा जी हौंसला बढ़ाने के लिए धन्यवाद .

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  4. सभी तांका बहुत सुन्दर हैं पर ये वाला बहुत भाया...
    वक्त के काँटें
    तानों के जख्म बन
    जब भी दिए
    हर हाल पीर को
    मैंने गाथा में रचा।
    हार्दिक बधाई...|

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